shabd-logo

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 7 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

18 अप्रैल 2022

20 बार देखा गया 20


आज सुबह मैं बहुत जल्दी उठ गई मुझे रात को ठीक से नींद नहीं आई थी।रह रहकर मेरी आंखों के सामने सिन्हा साहब की बहू का चेहरा आ जा रहा था वह ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलती थी दो तीन बार ही उसे मैंने देखा था कितना मासूम चेहरा था उसका पर हर बार मुझे उसके चेहरे पर उदासी ही दिखाई दी थी आज मुझे इसका अहसास हो रहा था। पहले कभी मैंने उसके उदास चेहरे पर ध्यान ही नहीं दिया था।
मैंने घर के सभी काम जल्दी से समाप्त किया और फिर सिन्हा साहब के घर जाने के लिए निकल गई आज उनकी बहू का अंतिम संस्कार होना था। वहां पहुंचकर मैं भी लोगों के बीच बैठ गई पोस्ट मार्टम के बाद लाश घर आ गई थी बहू के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी अंदर से आवाजें आ रही थी कोई कह रहा था अच्छे से श्रृंगार कर दो यह सुहागन थी। कोई कह रहा था कि पायल और बिछुआ जरूर पहना देना, चूड़ियां भी पहना दो उसके विदाई वाली चुनरी भी उसे उढ़ा देना।
यह सब सुनकर मन अंदर से व्यथित हो रहा था मैं सोच रहीं थी कि जीते जी तो उसे किसी ने चैन की सांस नहीं लेने दी आज सभी उसे अच्छे से श्रृंगार करके विदा कर रहे हैं।मेरा मन सोच सोच कर दुखी हो रहा था कि यह कैसी विडम्बना है कि हम जिंदा लोगों को जलाने में भी नहीं हिचकते और फिर समाज को दिखाने के लिए उसके विपरीत व्यवहार करते हैं यह कोई कैसे कर सकता है क्या उसकी अंतरात्मा उसे धिक्कारती नहीं होगी।
फिर खुद ही अपनी सोच पर अफ़सोस कर रही थी अरे जिसकी अंतरात्मा मर जाती है वही ऐसा घृणित कार्य करता है तो उसकी अंतरात्मा उसे क्यों धिक्कारेगी??
सिन्हा साहब का पूरा घर अस्त-व्यस्त था और सभी रोने चिल्लाने का नाटक कर रहे थे।
बाहर लोगों में फुसफुसाहट हो रही थी।
तभी पाठक चाची वहां आ गई और यह सब देखकर व्यंग से बोली अरे यह लोग तो उसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कि' "जीयद बाप को पानी नाहीं मरत बाप को पिंड़ा"
उनकी बातों को सुनकर सिन्हा साहब के घर वालों के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी।यह सभी ने देखा और महसूस किया। परंतु किसी ने कहा कुछ नहीं बाहर बैठी औरतें कह रही थीं अरे बहू को अपने मायके चले जाना चाहिए था। तभी किसी ने धीरे से कहा वह अपने मायके गई थी उसके माता-पिता उसे फिर यहीं छोड़ गए थे।वह गरीब परिवार से थी और ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं थी।

यह सब सुनकर मैं सोचने पर बाध्य हो गई कि क्या गरीब माता-पिता अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चे को मरने के लिए छोड़ सकते हैं। क्या हमारे समाज में आज भी वही पुरानी सोच व्याप्त है कि लड़की डोली पर ससुराल जाए और अर्थी पर वहां से विदा ले।
नहीं हर माता-पिता ऐसा नहीं सोचते पर कुछ माता-पिता समाज के डर और तानों के कारण एवं अपनी गरीबी के कारण ऐसा करते हैं इससे पूरी तरह इंकार भी नहीं किया जा सकता।
क्योंकि जो घटना यहां घटी और लोग कह रहे थे उसे नकारा भी नहीं जा सकता था।
घर वाले जब अर्थी को लेकर चले गए तो मैं भी अपने घर आ गई लेकिन मेरे मन में विचारों की आंधी चल रही थी।
मैं सोचने लगी यदि कुछ लोग मिलकर ऐसी संस्था चलाए जहां असहाय लड़कियां आकर रहें और उनके अंदर जो काबिलियत हो उससे अपना जीवनयापन करने का प्रयास करें तो बहुत से असहाय लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
पर हम लोग किसी बाहरी लोगों के मामले में पड़ना नहीं चाहते और अगर कोई आगे आता भी है तो पीड़ित व्यक्ति उसका साथ नहीं देता।
क्योंकि शायद उसे यह उम्मीद रहती है कि उसके घर वाले बदल जाएं पर ऐसा होता नहीं है जो व्यक्ति बुरा है वह कभी सुधरेगा इस उम्मीद में किसी को अपना जीवन दांव पर नहीं लगाना चाहिए।
यह सब सोचते हुए मेरे सिर में दर्द होने लगा तभी मेरी सहेली रेखा मेरे घर आ गई उसे देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा अब मैं उससे अपने दिल की बात खुलकर करूंगी।
इसलिए अब आज इतना ही कल मेरी सहेली रेखा से मेरी क्या बात हुई उस विषय पर चर्चा करूंगी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक

7/4/2022


18
रचनाएँ
दैनदिंनी अप्रैल 2022
0.0
इस डायरी में अपने मन के विचारों को व्यक्त करने की कोशिश की हे
1

डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 1

5 अप्रैल 2022
2
1
0

डायरी आत्ममंथन भाग 1 दिन शुक्रवार 1/4/2022 तुम्हें तो पता ही है सखी की कल से नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है और हमारे भारतीय नववर्ष का भी सभी को नववर्ष और नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं चैत्र

2

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022भाग2 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

13 अप्रैल 2022
2
1
0

अप्रैल माह में मैं अपनी डायरी आत्ममंथन में कुछ इतिहास की, कुछ समाज की और कुछ अपने मन की बेबाक बातें करने की कोशिश करूंगी मैं इसमें कहां तक सफल हो पातीं हूं इसका निर्णय मैं अपने आदरणीय विद्वान पा

3

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 3 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

14 अप्रैल 2022
3
2
2

मेरी डायरी आत्ममंथन इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें भाग 3 डायरी के पिछले पन्नों पर मैंने नैतिक मूल्यों की बात की थी जो प्राचीन काल में हमारी शिक्षा प्रणाली के विशेष अंग थे जिनकी शिक्षा प्रत्येक

4

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 4 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

15 अप्रैल 2022
0
0
0

मैंने कल अपनी डायरी में अपने घर काम करने वाली कमली की बातों का जिक्र किया था। उसकी बात सुनकर मैं उसके चेहरे को ध्यान से देखने लगी। मैंने उससे कहा क्या जिस लड़के से तुम्हारे पति ने तुम्हारे बेटी की शा

5

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 5 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

16 अप्रैल 2022
2
0
2

आज मैं सुबह जल्दी उठ गई क्योंकि आए हुए मेहमानों को आज जाना था। उन लोगों को नाश्ता कराने के बाद विदा किया फिर कुछ घर के कामों को निपटाने के बाद मैं अपने लिए चाय बना कर बैठी ही थी कि कमली आ गई मैंने सम

6

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 6 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

17 अप्रैल 2022
0
0
0

आज सुबह जल्दी उठने का मन नहीं हो रहा था क्योंकि कल देर रात तक मैं प्रतिलिपि पर एक लेख लिख रही थी लेख का शीर्षक है आधुनिक काल में वानप्रस्थाश्रम कितना प्रासंगिक हो सकता है। इसलिए सुबह उठने का मन नहीं

7

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 7 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

18 अप्रैल 2022
0
0
0

आज सुबह मैं बहुत जल्दी उठ गई मुझे रात को ठीक से नींद नहीं आई थी।रह रहकर मेरी आंखों के सामने सिन्हा साहब की बहू का चेहरा आ जा रहा था वह ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलती थी दो तीन बार ही उसे मैंने देखा था

8

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 8 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

19 अप्रैल 2022
0
0
0

8/4/2022 आज सुबह उठते ही मुझे एक खुशखबरी सुनने को मिली दो तीन दिनों से मन बहुत दुखी था। इसलिए यह खबर सुनकर मैं बहुत खुश हो गई क्योंकि आज सुबह मेरे भैया ( मेरे मामा जी के बेटे) का फोन आया कि वह

9

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 9 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

20 अप्रैल 2022
1
0
0

आज सुबह मुझे साहित्यनामा पत्रिका डाक द्वारा प्राप्त हुई।साहित्यनामा पत्रिका अदम्य प्रतियोगिता करवा चौथ के अवसर मेरा लेख चयनित हुआ था वह लेख उस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।यह देखकर मुझे बहुत ख़ुशी मिल

10

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 10 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

21 अप्रैल 2022
0
0
0

दिन बुधवार 10/2/2021 आज सुबह अखबार में एक ख़बर पढ़ी एक मां ने अपनी ही बेटी को शादी के नाम पर बेच दिया। फिर कुछ दिन बाद उस बेटी ने अपनी मां को मार दिया। यह ख़बर सुनकर मन बहुत दुखी हो गया और मन में यक्ष

11

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 11 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

22 अप्रैल 2022
1
0
0

मेरी डायरी आज मैं कुछ पहले ही आ गई तुमसे मिलने कल देर से आई थी पर तुम्हें प्रकाशित नहीं कर सकी कल मैं बहुत खुश थी मेरी आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे मुझे खुश देखकर शायद कल इंद्रदेव भी प्रसन्न होकर

12

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022भाग 12 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

23 अप्रैल 2022
0
0
0

आज मैं अपनी डायरी में कुछ इतिहास और कुछ अपने मन की बात करूंगी।आज प्रतिलिपि ने वृद्धाश्रम विषय पर कुछ लिखने को कहा है मैंने आज 12 बजे जब इस विषय को देखा तो मेरे मन में द्वंद शुरू हो गया। क्या वृद्धाश्

13

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 13 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

24 अप्रैल 2022
0
0
0

दिन रविवार24/4/2022 आज मैं अपनी डायरी में कुछ मन की बात करूंगी आज सुबह से ही घर के कामों में उलझी रही फिर जब समय मिला तो प्रतिलिपि पर आज के विषय पर एक कहानी लिखी फिर खाना खाने के बाद मैं अपना मोबाइल ल

14

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 14 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

25 अप्रैल 2022
1
1
1

आज मैं अपनी डायरी में कल के अपने विचारों को आगे बढ़ाते हुए स्वयं से परिचर्चा करूंगी। क्योंकि जब हम स्वयं से परिचर्चा करते हैं तो उस समय हम मन से स्वतंत्र रहते हैं। हमें सामने वाले की नाराज़गी की डर न

15

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

25 अप्रैल 2022
2
1
4

आज मैं अपनी डायरी से अपने मन की भावनाएं व्यक्त करूंगी।आज प्रतिलिपि ने जादुई घर पर कुछ लिखने के लिए कहा है। यह तो हर व्यक्ति का सपना होता है पर कितनो के जीवन में यह सपना हकीकत बनता है??यह प्रश्न आज मेर

16

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 16 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

26 अप्रैल 2022
1
0
1

डायरी आज मैं प्रतिलिपि पर दिए गए शब्द पर कुछ बातें करने की चेष्टा करूंगी। आज का शब्द है बूढ़ी आंखें यह विषय विचारणीय है आज हर दूसरे घर में कोई बूढ़ी आंखें अपने मन के दर्द को आंखों से बयां करती

17

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 17 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

27 अप्रैल 2022
0
0
0

आज मैं तुमसे कुछ इतिहास समाज और अपने मन के उदगारों को व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं। आज प्रतिलिपि पर ऊंची इमारतों पर लिखने को कहा गया है। ऊंची इमारतें देखने में बहुत लुभावनी होती हैं,हम ऊंची ऊंची इ

18

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 18 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

27 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरी डायरी आज मैं कुछ अपने मन की बात तुमसे करूंगी उसे सुनकर हंसना नहीं!! आज सुबह से तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसलिए कुछ भी लिखने का मन नहीं कर रहा है। मैंने कुछ रचनाएं पढ़ी उन पर अपने विचारों को व्यक्त क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए