shabd-logo

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

25 अप्रैल 2022

66 बार देखा गया 66

आज मैं अपनी डायरी से अपने मन की भावनाएं व्यक्त करूंगी।आज प्रतिलिपि ने जादुई घर पर कुछ लिखने के लिए कहा है।
यह तो हर व्यक्ति का सपना होता है पर कितनो के जीवन में यह सपना हकीकत बनता है??यह प्रश्न आज मेरे मन में उठ रहा है।
आज कल लोग चाहते हैं कि उन्हें कर्म ना करना पड़े कोई जादुई चमत्कार हो जाए और उनके पास धन दौलत का अंबार लग जाए।
ऐसा जादू सिर्फ़ सपनों में ही होता है हकीकत की दुनिया में ऐसा सम्भव नहीं है।हम चाहते हैं कि हमें जादुई छड़ी मिल जाए और हम उसे घुमा दें और हमारे जीवन का हर सपना पूरा हो जाए।

पर हम यह भूल जाते हैं की ईश्वर की बनाई दुनिया में बिना कर्म किए जादू नहीं होता अगर हम कड़ी मेहनत करें तो जादुई छड़ी भी हमें मिल सकती है क्योंकि दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है बस हमारे हौसलों की उड़ान में ताकत होनी चाहिए।
यदि हम कुछ करने की ठान लें तो वह कर गुज़रेगें इसमें शक की गुंजाइश नहीं है।

परंतु यदि हम सिर्फ़ सपनें देखते रहें की कोई परी आएगी या अल्लाहदीन का जादुई चिराग मिल जाएगा और हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएगी।
ऐसा कभी नहीं हो सकता हमें अपनी जादुई दुनिया पाने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ेगा
यही सास्तव सत्य है।
इतिहास इसका गवाह है कि,जिस किसी ने भी अपने हौसलों को बुलंद किया उन्होंने इतिहास रच दिया। चंद्रगुप्त मौर्य के हौसले और दृढ़ संकल्प ने पहली बार अखंड साम्राज्य की स्थापना की जिससे एक नये भारत का उदय हुआ।
रानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था पर उनकी सोच बसुंधैवकुटम्बकम की थी इसलिए उनका विवाह एक राजपरिवार में हुआ।
रानी अहिल्याबाई होलकर ने अपने हौसलों से एक नया इतिहास रचा यह सभी जानते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि मनुष्य निर्णय कर लें की उसे एक जादुई नगरी चाहिए तो वह अपनी बुद्धि, सोच और कठोर परिश्रम से जादुई घर उसे मिल सकता है।
क्योंकि हम स्वयं अच्छे कर्म, संस्कार और दृढ़ संकल्प से अपने घर को जादुई घर बना सकते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे कर्म और हौसले हमें हमारे मन की इच्छाओं की पूर्ति करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
आज बस इतना ही कल आगे कुछ और बात करूंगी

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक


कविता रावत

कविता रावत

बिना कर्म किए जादू की छड़ी भी काम नही करेगी बहुत खूब

25 अप्रैल 2022

Kanchan Shukla

Kanchan Shukla

25 अप्रैल 2022

बहुत बहुत आभार आपका

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया लिखा आपने 👌🏻👌🏻

25 अप्रैल 2022

Kanchan Shukla

Kanchan Shukla

25 अप्रैल 2022

बहुत बहुत आभार आपका

18
रचनाएँ
दैनदिंनी अप्रैल 2022
0.0
इस डायरी में अपने मन के विचारों को व्यक्त करने की कोशिश की हे
1

डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 1

5 अप्रैल 2022
2
1
0

डायरी आत्ममंथन भाग 1 दिन शुक्रवार 1/4/2022 तुम्हें तो पता ही है सखी की कल से नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है और हमारे भारतीय नववर्ष का भी सभी को नववर्ष और नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं चैत्र

2

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022भाग2 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

13 अप्रैल 2022
2
1
0

अप्रैल माह में मैं अपनी डायरी आत्ममंथन में कुछ इतिहास की, कुछ समाज की और कुछ अपने मन की बेबाक बातें करने की कोशिश करूंगी मैं इसमें कहां तक सफल हो पातीं हूं इसका निर्णय मैं अपने आदरणीय विद्वान पा

3

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 3 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

14 अप्रैल 2022
3
2
2

मेरी डायरी आत्ममंथन इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें भाग 3 डायरी के पिछले पन्नों पर मैंने नैतिक मूल्यों की बात की थी जो प्राचीन काल में हमारी शिक्षा प्रणाली के विशेष अंग थे जिनकी शिक्षा प्रत्येक

4

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 4 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

15 अप्रैल 2022
0
0
0

मैंने कल अपनी डायरी में अपने घर काम करने वाली कमली की बातों का जिक्र किया था। उसकी बात सुनकर मैं उसके चेहरे को ध्यान से देखने लगी। मैंने उससे कहा क्या जिस लड़के से तुम्हारे पति ने तुम्हारे बेटी की शा

5

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 5 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

16 अप्रैल 2022
2
0
2

आज मैं सुबह जल्दी उठ गई क्योंकि आए हुए मेहमानों को आज जाना था। उन लोगों को नाश्ता कराने के बाद विदा किया फिर कुछ घर के कामों को निपटाने के बाद मैं अपने लिए चाय बना कर बैठी ही थी कि कमली आ गई मैंने सम

6

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 6 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

17 अप्रैल 2022
0
0
0

आज सुबह जल्दी उठने का मन नहीं हो रहा था क्योंकि कल देर रात तक मैं प्रतिलिपि पर एक लेख लिख रही थी लेख का शीर्षक है आधुनिक काल में वानप्रस्थाश्रम कितना प्रासंगिक हो सकता है। इसलिए सुबह उठने का मन नहीं

7

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 7 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

18 अप्रैल 2022
0
0
0

आज सुबह मैं बहुत जल्दी उठ गई मुझे रात को ठीक से नींद नहीं आई थी।रह रहकर मेरी आंखों के सामने सिन्हा साहब की बहू का चेहरा आ जा रहा था वह ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलती थी दो तीन बार ही उसे मैंने देखा था

8

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 8 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

19 अप्रैल 2022
0
0
0

8/4/2022 आज सुबह उठते ही मुझे एक खुशखबरी सुनने को मिली दो तीन दिनों से मन बहुत दुखी था। इसलिए यह खबर सुनकर मैं बहुत खुश हो गई क्योंकि आज सुबह मेरे भैया ( मेरे मामा जी के बेटे) का फोन आया कि वह

9

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 9 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

20 अप्रैल 2022
1
0
0

आज सुबह मुझे साहित्यनामा पत्रिका डाक द्वारा प्राप्त हुई।साहित्यनामा पत्रिका अदम्य प्रतियोगिता करवा चौथ के अवसर मेरा लेख चयनित हुआ था वह लेख उस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।यह देखकर मुझे बहुत ख़ुशी मिल

10

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 10 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

21 अप्रैल 2022
0
0
0

दिन बुधवार 10/2/2021 आज सुबह अखबार में एक ख़बर पढ़ी एक मां ने अपनी ही बेटी को शादी के नाम पर बेच दिया। फिर कुछ दिन बाद उस बेटी ने अपनी मां को मार दिया। यह ख़बर सुनकर मन बहुत दुखी हो गया और मन में यक्ष

11

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 11 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

22 अप्रैल 2022
1
0
0

मेरी डायरी आज मैं कुछ पहले ही आ गई तुमसे मिलने कल देर से आई थी पर तुम्हें प्रकाशित नहीं कर सकी कल मैं बहुत खुश थी मेरी आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे मुझे खुश देखकर शायद कल इंद्रदेव भी प्रसन्न होकर

12

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022भाग 12 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

23 अप्रैल 2022
0
0
0

आज मैं अपनी डायरी में कुछ इतिहास और कुछ अपने मन की बात करूंगी।आज प्रतिलिपि ने वृद्धाश्रम विषय पर कुछ लिखने को कहा है मैंने आज 12 बजे जब इस विषय को देखा तो मेरे मन में द्वंद शुरू हो गया। क्या वृद्धाश्

13

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 13 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

24 अप्रैल 2022
0
0
0

दिन रविवार24/4/2022 आज मैं अपनी डायरी में कुछ मन की बात करूंगी आज सुबह से ही घर के कामों में उलझी रही फिर जब समय मिला तो प्रतिलिपि पर आज के विषय पर एक कहानी लिखी फिर खाना खाने के बाद मैं अपना मोबाइल ल

14

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 14 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

25 अप्रैल 2022
1
1
1

आज मैं अपनी डायरी में कल के अपने विचारों को आगे बढ़ाते हुए स्वयं से परिचर्चा करूंगी। क्योंकि जब हम स्वयं से परिचर्चा करते हैं तो उस समय हम मन से स्वतंत्र रहते हैं। हमें सामने वाले की नाराज़गी की डर न

15

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

25 अप्रैल 2022
2
1
4

आज मैं अपनी डायरी से अपने मन की भावनाएं व्यक्त करूंगी।आज प्रतिलिपि ने जादुई घर पर कुछ लिखने के लिए कहा है। यह तो हर व्यक्ति का सपना होता है पर कितनो के जीवन में यह सपना हकीकत बनता है??यह प्रश्न आज मेर

16

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 16 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

26 अप्रैल 2022
1
0
1

डायरी आज मैं प्रतिलिपि पर दिए गए शब्द पर कुछ बातें करने की चेष्टा करूंगी। आज का शब्द है बूढ़ी आंखें यह विषय विचारणीय है आज हर दूसरे घर में कोई बूढ़ी आंखें अपने मन के दर्द को आंखों से बयां करती

17

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 17 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

27 अप्रैल 2022
0
0
0

आज मैं तुमसे कुछ इतिहास समाज और अपने मन के उदगारों को व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं। आज प्रतिलिपि पर ऊंची इमारतों पर लिखने को कहा गया है। ऊंची इमारतें देखने में बहुत लुभावनी होती हैं,हम ऊंची ऊंची इ

18

मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 18 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

27 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरी डायरी आज मैं कुछ अपने मन की बात तुमसे करूंगी उसे सुनकर हंसना नहीं!! आज सुबह से तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसलिए कुछ भी लिखने का मन नहीं कर रहा है। मैंने कुछ रचनाएं पढ़ी उन पर अपने विचारों को व्यक्त क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए