आज मैं अपनी डायरी से अपने मन की भावनाएं व्यक्त करूंगी।आज प्रतिलिपि ने जादुई घर पर कुछ लिखने के लिए कहा है।
यह तो हर व्यक्ति का सपना होता है पर कितनो के जीवन में यह सपना हकीकत बनता है??यह प्रश्न आज मेरे मन में उठ रहा है।
आज कल लोग चाहते हैं कि उन्हें कर्म ना करना पड़े कोई जादुई चमत्कार हो जाए और उनके पास धन दौलत का अंबार लग जाए।
ऐसा जादू सिर्फ़ सपनों में ही होता है हकीकत की दुनिया में ऐसा सम्भव नहीं है।हम चाहते हैं कि हमें जादुई छड़ी मिल जाए और हम उसे घुमा दें और हमारे जीवन का हर सपना पूरा हो जाए।
पर हम यह भूल जाते हैं की ईश्वर की बनाई दुनिया में बिना कर्म किए जादू नहीं होता अगर हम कड़ी मेहनत करें तो जादुई छड़ी भी हमें मिल सकती है क्योंकि दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है बस हमारे हौसलों की उड़ान में ताकत होनी चाहिए।
यदि हम कुछ करने की ठान लें तो वह कर गुज़रेगें इसमें शक की गुंजाइश नहीं है।
परंतु यदि हम सिर्फ़ सपनें देखते रहें की कोई परी आएगी या अल्लाहदीन का जादुई चिराग मिल जाएगा और हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएगी।
ऐसा कभी नहीं हो सकता हमें अपनी जादुई दुनिया पाने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ेगा
यही सास्तव सत्य है।
इतिहास इसका गवाह है कि,जिस किसी ने भी अपने हौसलों को बुलंद किया उन्होंने इतिहास रच दिया। चंद्रगुप्त मौर्य के हौसले और दृढ़ संकल्प ने पहली बार अखंड साम्राज्य की स्थापना की जिससे एक नये भारत का उदय हुआ।
रानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था पर उनकी सोच बसुंधैवकुटम्बकम की थी इसलिए उनका विवाह एक राजपरिवार में हुआ।
रानी अहिल्याबाई होलकर ने अपने हौसलों से एक नया इतिहास रचा यह सभी जानते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि मनुष्य निर्णय कर लें की उसे एक जादुई नगरी चाहिए तो वह अपनी बुद्धि, सोच और कठोर परिश्रम से जादुई घर उसे मिल सकता है।
क्योंकि हम स्वयं अच्छे कर्म, संस्कार और दृढ़ संकल्प से अपने घर को जादुई घर बना सकते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे कर्म और हौसले हमें हमारे मन की इच्छाओं की पूर्ति करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
आज बस इतना ही कल आगे कुछ और बात करूंगी।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक