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मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 13 इतिहास समाज और मन की कुछ बातें

24 अप्रैल 2022

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दिन रविवार
24/4/2022

आज मैं अपनी डायरी में कुछ मन की बात करूंगी आज सुबह से ही घर के कामों में उलझी रही फिर जब समय मिला तो प्रतिलिपि पर आज के विषय पर एक कहानी लिखी फिर खाना खाने के बाद मैं अपना मोबाइल लेकर बैठी ही थी कि मेरी दूर के रिश्ते की जेठानी आ गई।

मैंने बहुत उत्साहित होकर उनका स्वागत किया मुझे उनके चेहरे पर उदासी के चिन्ह दिखाई दिए। वह इधर-उधर की बातें करने लगी मैंने बात करते हुए उनकी उदासी का कारण जानना चाहा।
पर वह चेहरे पर झूठी हंसी लाते हुए खुश होने का दिखावा करने लगी। मैं जान रही थी कि उनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं है भाई साहब के क्रोधी स्वभाव के बारे में रिश्तेदारी में सभी को पता था पर कोई कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि यह उनका घरेलू मामला है।
मैंने हंसते हुए पूछा"दीदी आप जब पिछली बार आई थीं तो आप कह रहीं थीं की आप भैया के साथ कहीं बाहर घूमने जाएंगी।आप कहां गई थी आपने बताया नहीं" मैं जानती थी कि भाई साहब उन्हें कहीं नहीं लेकर जाते दीदी स्वयं अपने मन को संतोष देने के लिए सबसे कहती हैं कि भैया उन्हें बहुत प्यार करते हैं उन्हें बाहर घूमाने लें जाएंगे आदि आदि
दीदी ने यहां भी झूंठ बोल दिया कि, तुम्हारेभैया तो बाहर ले जाने को तैयार थे।
मैंने ही मना कर दिया की कोरोना है इसलिए हम नहीं गए उसके बाद दीदी चली गई।

उनके जाने के बाद मैं सोचने लगी कि हम औरतें अपने घर, परिवार, और पति की झूठीं तारीफ़ करते हैं।उनकी गलतियों को भी छुपाते हैं पति प्यार करे या न करें तब भी कहते हैं कि वह हमें बहुत प्यार करते हैं।

हम औरतें अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए अपनी भावनाओं को कुचल देते हैं और अपने पति बच्चों और परिवार के लोगों की झूठी तारीफ करते रहते हैं।

जिससे लोग यह ना जान सकें कि उस औरत का पति उसे प्यार नहीं करता जब लोग यह जान जाएंगे तो उसका मज़ाक उड़ाएंगे।
लोग क्या कहेंगे के डर से वह लोगों के आगे अपने खोखले दाम्पत्य जीवन को खुशियों भरा बताती है।तब वह अंदर ही अंदर कितनी पीड़ा सहती होगी इसका अहसास सिर्फ वह औरत ही कर सकती कोई दूसरा नहीं कर सकता।
यह सोच सोचकर मेरा मन दुखी हो रहा था कि हम औरतों को अपने परिवार को एकजुट रखने के लिए कितना कुछ सहना पड़ता है शारीरिक पीड़ा का दर्द तो कुछ दिन बाद समाप्त हो जाता है पर मन की पीड़ा का दर्द धीरे-धीरे नासूर बन जाता है। फिर भी वह दुनिया के सामने हंसती मुस्कुराती रहती है और ख़ुश होने का अभिनय करती है।
आज इतना ही कल कुछ और बातें करेंगे अब लिखना बंद करती हूं

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
24/4/2022


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