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मेरी डायरी आत्ममंथन अप्रैल 2022 भाग 8 इतिहास, समाज और मन की कुछ बातें

19 अप्रैल 2022

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8/4/2022

आज सुबह उठते ही मुझे एक खुशखबरी सुनने को मिली दो तीन दिनों से मन बहुत दुखी था। इसलिए यह खबर सुनकर मैं बहुत खुश हो गई क्योंकि आज सुबह मेरे भैया ( मेरे मामा जी के बेटे) का फोन आया कि वह  अपने परिवार के साथ अयोध्या घुमने आ रहें हैं वह पूरे दिन हमारे साथ रहेंगे।
यह सुनकर मैं खुशी से झूम उठी क्योंकि वह लोग बहुत दिनों बाद आ रहें थे मैं जल्दी से घर के काम निपटाने में लग गईं और अपनी मेड की मदद से खाने की तैयारी की उन लोगों के आने के बाद सबने साथ मिलकर खाना खाया और हम लोग घुमने के लिए घर से निकल गए।
सबसे पहले हम लोग गोपतार घाट गए जहां भगवान राम जी अपने भाईयों के साथ गुप्त हुए थे अर्थात जल समाधि ली थी। शास्त्रों के अनुसार यह स्थान 80-85 लाख वर्ष पुराना शांत स्थल है।
वहां हम लोगों ने बोटिंग की बहुत आनन्द आया कोरोना के बाद यह खुशियों भरा दिन था।
उसके बाद हम दोनों लोग वहां से कम्पनी गार्डन गए वहां कुछ देर घुमने के बाद सभी  गुलाब बाडी गए।
यह अवध के नवाब शुजाऊदौला और उनकी मां का मकबरा है यहां गुलाबों की महकती फूलवारी है इसीलिए इसका नाम ग़ुलाब बाड़ी है,,,


गुलाब बाडी के बाद हम लोग अयोध्या के लिए निकल गए वहां हम लोगों ने  राम की पैड़ी पर खुबसूरत नज़ारों को देखा तब तक शाम हो गई थी। चारों ओर रौशनी हो गई थी वहां का सौंदर्य देखते ही बनता था। वैसे ही वह राम की नगरी है और ऊपर से ऐसा सुन्दर वातावरण जो देखते ही बनता था।


उसी समय सरयू नदी पर शाम की आरती का समय हो गया हम लोगों ने सरयू नदी की आरती का आनन्द उठाया।


उसके बाद हम लोगों ने वहां के पराग डेयरी के रेस्टोरेंट में खाना खाया और फिर हम लोग घर आ गए भैया का परिवार अपने घर के लिए रवाना हो गए और हम लोग अपने घर आ गए।
जब मैं घर आई तो घर के बचे हुए काम को किया और फिर डायरी लिखने बैठ गई।
मुझे आज बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मैंने यह महसूस किया कि जब हम लोग एक ही रूटिन में बहुत दिनों तक काम करते हैं तो हमारे मन-मस्तिष्क में भी शिथिलता आ जाती है।
तभी यदि हम कुछ समय के लिए अपने मनपसंद काम को करते हैं तो मन-मस्तिष्क फिर से खुशी का अनुभव करने लगता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हम समय समय पर अपने रूटीन में परिवर्तन कर लें तो हमारे मन में नई ऊर्जा का संचार होता है और हम अपने कार्य को और अच्छी तरह से क्रियान्वित कर सकते हैं।
आज बहुत दिनों बाद मुझे मन की खुशी मिली क्योंकि अपनो के साथ बिताए गए पल बहुत ही अनमोल होते हैं।
यदि हमारे मन-मस्तिष्क में निराशा का भाव आ जाए तो हमें अपने मनपसंद काम करने चाहिए जिससे हम पुनः ऊर्जावान होकर अपने कार्य को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए फिर से जुट जाएं।
निराशाजनक माहौल से निकलने का सबसे अचूक उपाय है अच्छे स्थलों का भ्रमण और प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन करना ऐसा करने से हमारे मन की निराशा आशा में परिवर्तित हो जाती है।
आज इतना ही अब मैं सोने जा रही हूं क्योंकि बहुत थक गई हूं आगे की बातें कल करूंगी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
8/4/2022


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