डायरी आज मैं प्रतिलिपि पर दिए गए शब्द पर कुछ बातें करने की चेष्टा करूंगी।
आज का शब्द है बूढ़ी आंखें यह विषय विचारणीय है आज हर दूसरे घर में कोई बूढ़ी आंखें अपने मन के दर्द को आंखों से बयां करती रहती हैं।
आज मैं एक सच्ची कहानी यहां तुम्हें सुनाने जा रही हूं।एक परिवार था उस घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी दो बेटे और एक बेटी का खुशहाल परिवार था।पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था उस घर के मुखिया की मौत हो गई पत्नी को पेंशन मिलती थी।
पिता के मरने के बाद रिश्तेदारों ने जमीन जायदाद दोनों बेटों के नाम करवा दिया।उनका कहना था कि, मां को पेंशन मिलती है तो जमीन जायदाद अभी से दोनों बच्चों को दे दिया जाए तो बाद में कोई परेशानी नहीं आएगी।
कुछ दिनों बात दोनों बेटों की शादी हो गई बेटी की शादी तो पहले ही पिता ने कर दिया था।
•••••••• बड़ी बहू बहुत तेज थी उसकी सास से बिल्कुल नहीं बनती थी जबकि की सास बहुत ही सीधी-सादी थी फिर भी बहू उनको परेशान करती थी।छोटी बहू अपने मायके चली गई और ससुराल वालों पर झूठा दहेज़ का केस कर दिया बाद में सब रफा दफा हुआ पर छोटा बेटा इस घटना के बाद गलत रास्ते पर चला गया मां ने बहुत समझाने की कोशिश की पर वह शराब में ऐसा डूबा की अपनी सारी जमीन जायदाद बेच दिया।
बड़े बेटे ने भी यही किया वह भी कोई काम धंधा नहीं करता था जमीन जायदाद बेच कर अपने घर का खर्च चलाता था।
यह सब देखकर मां दुखी रहती पर बेटे उनकी परवाह नहीं करते थे। जब उनका शरीर बूढ़ा होने लगा तो उनके बेटों ने उन्हें घर से निकलने पर मज़बूर कर दिया।
उनको अपनी बेटी के घर जाना पड़ा उसकी मौत पर भी उनके बड़े बेटे ने उनको कंधा नहीं दिया। मरने से पहले उनकी बूढ़ी आंखें अपने बेटों का इंतजार करतीं रहीं पर वह नहीं आए।
उनकी बेटी ने ही उनका अंतिम संस्कार किया लोग बेटो के लिए बेटियों को नज़रंदाज़ करते हैं जबकि बेटियां अपने माता-पिता के दुःख दर्द को अपना समझते हैं।
आज इतना ही कल फिर तुमसे बात करने आऊंगी।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक