आज मैं सुबह जल्दी उठ गई क्योंकि आए हुए मेहमानों को आज जाना था।
उन लोगों को नाश्ता कराने के बाद विदा किया फिर कुछ घर के कामों को निपटाने के बाद मैं अपने लिए चाय बना कर बैठी ही थी कि कमली आ गई मैंने समय देखा तो सुबह के 11 बज रहे थे।
मैंने कमली से पूछा आज फिर से तू बहुत देर से आई है मैं तेरा क्या इलाज करूं मैंने हंसते हुए कहा और उसी कि भाषा में कहा" बूढ़ा तोता राम राम तो पढ़ेगा नहीं क्यों कमली??
वह मेरी बात सुनकर हंसने लगी फिर बोली" का करें भाभी हमार बस्ती में कुछ न कुछ बात रोज हो जात है और उसी में देर हो जात है"कमली ने जवाब दिया।
"आज क्या हो गया कमली"?? मैंने उससे पूछा
" भाभी आज मेरी बस्ती में मेरे पड़ोस में रहने वाले लड़के ने अपने बाप का सिर फोड़ दिया और उसने अपने बाप को बहुत मारा सभी लोग उस लड़के को मारने के लिए जब आगे आए तो मैंने सभी को ऐसा करने से रोक दिया और उस लड़के के साथ खड़ी हो गई"कमली ने गर्व से अपनी गर्दन तानकर बोली
"कमली यह काम तो तुमने ठीक नहीं किया जो उस लड़के का साथ दिया उसने अपने बाप को मारा और तुमने उसका साथ दिया। मुझे तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी बच्चों को अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उस लड़के ने अपने माता-पिता का इतना बड़ा अपमान किया और तू उस नालायक लड़के का पक्ष लेकर अच्छा नहीं कर रही"मैंने गुस्से में कमली से कहा
"भाभी जी नालायक वह लड़का नहीं उसका नीच बाप है जो पैसे के लालच में आकर अपनी बेटी की शादी एक बूढ़े आदमी से करने जा रहा है।जब इस बात का पता लड़की के भाई को चला तो उसने विरोध किया तब लडके के माता-पिता अपने बेटे को ही बुरा भला कहने लगे और कहा कि यह हमारी लड़की है मैंने इसके पालन पोषण में पैसा खर्च किया है अब अगर हम इसके माध्यम से पैसा वसूल रहें हैं तो इसमें बुरा क्या है।
यह सुनकर लड़के को गुस्सा आ गया और उसने कहा कि वह अपनी बहन की जिंदगी बर्बाद नहीं होने देगा इस बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था। भाभी इसमें उस लड़के की गलती कहां है इसलिए मैंने लड़के का साथ दिया"कमली ने गुस्से में कहा
"कमली एक बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है"?? मैंने आश्चर्य से पूछा
"भाभी जी आप पढ़ें लिखे लोग हो आप लोगों के यहां ऐसा नहीं होता पर हमारी बस्ती में ऐसा होता है वहां बहुत से मां बाप अपनी बेटियों से गलत काम करवाते हैं और पैसे के लिए अपनी बेटियों को शादी के नाम पर किसी बूढ़े आदमी को बेच देते हैं और कहते हैं कि मैंने अमीर घर में अपनी बेटी की शादी करके उसे सुख सुविधा का जीवन दिया है"कमली ने आक्रोश व्यक्त किया।
उसके बाद कमली अपने काम में लग गई और मैं उसकी बातों को सुनकर सोचने पर बाध्य हो गई की हमारे समाज में ऐसे माता पिता भी विद्यमान हैं जो अपने बच्चों के लालन-पालन का मूल्य वसूल करते हैं।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है हम अपने आस पास ऐसी घटनाओं को देखते हैं और चुप रहते हैं।
बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बेच देते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अच्छाई का जामा पहनकर उनका शोषण करते हैं।
मैं सोचने लगी की जहां हमारे समाज में एक तरफ माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना जाता है क्योंकि वह अपने बच्चों के भविष्य के निर्माण के लिए अपने खुशियों की बलि चढ़ा देते हैं। वहीं इसी समाज में ऐसे भी माता-पिता मौजूद हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चों की खुशियों की बलि चढ़ाते हैं।
मैं सोचने लगी कि आज हमारा देश उन्नति के मार्ग पर अग्रसर जरूर हो रहा है पर यह उन्नति भौतिक सुख सुविधाओं को प्राप्त करने के क्षेत्र में ज्यादा है हम अपने नैतिक मूल्यों को उन्नतिशील नहीं बना रहे हैं बल्कि आज नैतिक मूल्यों आदर्शों और परम्पराओं को पतन के गर्त में धकेल रहें है।
हम जब तक अपने आदर्शों, सिद्धांतों और नैतिकता को अपने जीवन में शामिल नहीं करेंगे तब तक हम एक स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं कर सकते जो स्थितियां आज समाज में व्याप्त हैं समाज को खोखला कर रही हैं।
यह समाज के लिए ठीक नहीं है आज इतना ही इसके आगे कल कुछ अपने मन की बात लिखने की कोशिश करूंगी।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
5/4/2022