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✴️ मित्र कौन, दुश्मन कौन✴️ थोड़ा रूहानी हो जाएं....

6 अगस्त 2022

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      ✴️ मित्र कौन, दुश्मन कौन✴️
             थोड़ा रूहानी हो जाएं....
                 ✴️✴️✴️✴️
  ✴️ये कलयुग है, और सब युगों का अंतिम चरण। युगों का अंतिम चरण ही क्या, सही मायनों में यह कलयुग का भी अंतिम भाग है, कलयुग और सतयुग की स्थापना के बीच का समय है, जिसे हम संगम युग।  भी कह सकते हैं। 2 युगों के संधिकाल को संगम युग कहा जाता है ।
आज हम देखें तो हर व्यक्ति किसी ना किसी प्रकार की दुखों से तकलीफों से बीमारियों से जूझ रहा है। किसी को अपनों के माध्यम से दुख मिल रहे हैं,  तो किसी को बेगानो के माध्यम से।  कोई मानसिक रोगी है, तो कोई शारीरिक रोगी है। कोई अपनों द्वारा सताया जा रहा है, तो कोई आस-पड़ोस या समाज की ओर से। कई बार ऐसा होता है, जिन्हें आपस में कोई जानता भी नहीं, वह आकर परेशानी का कारण बन जाता है। कभी कोई अनजाना भी दुख दे जाता है। माता-पिता और बच्चों में तनातनी है। भाई बहनों की आपस मे नही बनती। बच्चे जमीन जायदाद  लड़ रहे हैं, माता पिता से प्रॉपर्टी के लिए लड़ रहे हैं। 

 ✴️घोर कलयुग इसी को कहा जाता है, जहां अपना ही अपने का वेरी बना हो। औरते सुरक्षित नहीं है,  कन्याएं सुरक्षित नहीं है । पति पत्नी में तालमेल नहीं है, लड़ाई झगड़े मारपीट तक हो रहे हैं। आखिर क्यों क्यों इतनी नफरतें हैं? क्यों अपने ही अपने की दुख का कारण बन रहे हैं? क्यों बच्चे मां बाप का सम्मान नही करते और उनको दुख दे रहे हैं। कभी हम मनन चिंतन करे और सोचे तो हमें सारे उत्तर मिलते हैं।
 ✴️ हमारे वेद पुराण ग्रंथों में कर्म सिद्धान्त के बारे में बहुत बहुत स्पष्ट वर्णन है कि हम जब पैदा होते हैं, तो हमारे पिछले संस्कार पिछले जन्मों के हिसाब किताब हमारे साथ पैदा हो जाते हैं। इन्हीं हिसाब किताब के कारण हम अलग -अलग रिश्तो में बंधकर आते हैं। उन्ही कर्मों के अनुसार हमे कुल, धर्म और परिवार मिलता, मित्र सम्बन्धी मिलते हैं। हमारे आसपास जो भी लोग हमसे किसी न किसी रूप में हमसे जुड़े हैं। वे हमारे ही कर्मों के कारण हमारे इर्द गिर्द हैं। उनसे हमारा किसी न किसी रूप में पिछले जन्मों का सम्बन्ध है,और वे अब हमारे जीवन मे अपने लेन देन  के कारण आये हैं। 
  ✴️हम किसी से सुख, दुख या तकलीफ पाते हैं। या हम किसी के दुख तकलीफ का कारण बनते हैं। कर्मो के कारण ही हमें शारीरक और मानसिक रूप से दुख सुख प्राप्त होता है। अपने कर्मों के कारण शारीरिक और  मानसिक कष्ट पाते हैं। अपनों द्वारा सताए भी जाते हैं, तो बीमारियों के करण भी दुख भोगते है।  हमें अपने पिछले सभी कर्मो का भुगतान हर हाल में करना  ही होता है। हम इससे भाग नही सकते। जिन आत्माओं से हमारे हिसाब किताब  है, वे किसी न किसी रूप में हमारे जीवन मे आते है। वे हमें संगी साथी के रूप  ,पति या पत्नी के रूप में, संतान के रूप में,भाई  बहनों या रिश्ते नातो के रूप में मिलते हैं। उनसे हमारे जन्मों के और कर्मो के नाते हैं। हिसाब किताब तो चुकतु होने ही हैं।

  ✴️कुछ कर्मों के हिसाब किताब दूसरे रूप में होते हैं। वे चाहे बीमारियों के रूप में हों , शारीरक कष्टो के रूप में हों,  चाहे दुख तकलीफो के रूप में हो, मानसिक यातना के रूप में हों। हमे वे तब तक मिलेंगे जब तक भुगतान नही होता। हिसाब क्लियर नही होता हमें वे दुख भुगतने ही होंगे।। इसके इलावा ईश्वर हमारे कुछ कर्मों  कर्मो के भुगतान  के लिये किसी न किसी को हमारे जीवन मे गुप्त शैतान के रूप में हमारे साथ बांध देता है। वह शैतान हमें बहलाता फुसलाता है, मीठा बनकर अपना बनाता है, उम्मीदे भी बँधाता है, चापलूसी भी करता है और फिर पुरजोर अपना वॉर भी करता है। इसे ही हम माया कहते हैं। हम समझ ही नही पाते कि वह हमारा अपना है या पराया । कोई हमारे लिए दुख का कारण क्यों बना रहता है। क्यों वह प्रिडि  हमारे लिये नासूर बन रहता है। 

 ✴️हम चाहकर भी उन्हें छोड़ नही सकते। प्रतिदिन दर्द झेलते हैं। हम समझ  ही नहीं आता कि वह हमारा अपना है, या दुश्मन। लेनिन सच ये है कि वह हमारा कर्म है, जो व्यक्ति के रूप में या अपने के रूप में जमरे साथ बंधा है। दुखी तो वह भी होता है न। बस दुख का भुगतान कम या ज्यादा होता है।   ठीक अर्जुन की दुविधा की तरह सामने सभी अपने होते है, पर दुश्मन भी वही होते हैं। हिसाब किताब उनके साथ  हैं तो चुकाकर ही जाना होगा। न मर सकते हैं न जी सकते है। ।
  ✴️ यही कर्म फ़ॉलोसपी है। हम अपने कर्मों की सजा से कदापि नही बच सकते। इसे शांति से एक्सेप्ट करें।  अपने आचरण को मन,करम, वचन से उत्तम बनाये।  पूण्य और दुआएं कमाएं। ईश्वर से मदद मांगे, आपकी सजाओं को ईश्वर माफ तो नही करता, किंतु आपके अच्छे आचरण, पूण्य कर्मो, ईश्वर की  अर्चना आराधना, अच्छे आचार-व्यव्हार और सब्र से शांति से और  परमात्मा की याद से बुरे कर्मो के प्रभाव को कम किया जा सकता है।  कोर्ट भी अच्छे चाल चलन पर सजा आधी माफ कर देती है।  

✴️जब पूण्य कर्मो का पलड़ा भारी हो जाता है, तो पॉप और बुरे कर्मो का प्रभाव कम हो जाता है। आपका "औरा"  तेज और पॉजिटिव हो जाता है। फिर ईश्वर तो बड़ा दयालु हैं। हमारे माता पिता है। वह तो हमारी मदद के लिये हर पल हाजिर है, बस दृढ़ विश्वास के उसका हाथ थाम लें। उसका साथ होगा तो माया दुश्मन भी डर कर पीछे हट जाएगी। ये दुख, तकलीफे, परेशानियां , कष्ट ही जग माया हैं , जिन्होंने हमे भरमाया है। लेकिन परमात्मा के सच्चे बछो का कुछ नही बिगाड़ सकती। वह इधवेर या पफमात्मा से बड़ी नही।
सिलसिला जारी रहेगा, थोड़ा रूहानी हो जाएं का....
       
         कमलेश अरोड़ा
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रचनाएँ
थोड़ा रूहानी हो जाएं...
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तू वही है वही है नहीं है जिसकी चाहत थी सदियों से हर कौम की तू वही है, वही है,वही है वही... तू ही रूहों का मालिक पिता और गुरु, पूरा होता तुमसे सफर ये, खत्म और शुरू, परवरिश दे रही तेरी मौजूदगी तू वही है वही है वही है वही.... तेरा आगाज, अंजाम, इंसाफ है, गलतियां करता सबकी, तू Tही माफ है, तेरी चुप्प,तेरी रहमत,तेरी सादगी. तू वही है वही है वही है वही... तेरीआयत, इनायत, फरमान है पूरा होता सफर अब ये पैगाम है, कब्र दाखिल रूहों में है छाई खुशी, तू वही है वही है वही है वही तू वही है वही है वही है वही हम किसे ढूंढ रहे हैं कौन है हमारा अपना हम कौन हैं हम कहां से आए हैं और हमें कहां जाना है हाय प्रत्येक मनुष्य की यही खोज है वह उस परमात्मा खुदा अल्लाह गॉड को दर-दर भटक भटक कर ढूंढ रहा है लेकिन वह कहीं नहीं मिलता उसे पाने के लिए हमें सबसे पहले अपने अंतर में झांकना होगा अपनी आत्मा को अपनी रूह को पहचानना होगा । तभी हम रूहों के मालिक रूहों के पिता को ढूंढ पाएंगे उससे मिल पाएंगे इस पुस्तक में मैंने अपने अंदर की खोज को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है आज पृथ्वी हाहाकार कर रही है और हर प्राणी ईश्वर को पुकारता है। हे प्रभु आओ धरती को पाप से बचाओ विश्व में शांति हो सुख हो मंगल हो। सब का कल्याण करो । ईश्वर परमात्मा खुदा से मिलने के लिए सबसे पहले हमें खुद से अपनी आत्मा से मिलना होगा जब तक हमें खुद की पहचान नहीं है तो हम परमात्मा की पहचान कैसे कर सकते हैं तो आइए थोड़ा रूहानी हो जाइए कमलेश अरोड़ा के साथ......
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तेरा क्या मुझसे नाता है.. थोड़ा रूहानी हो जाए... ❣️❣️❣️❣️❣️❣️

14 सितम्बर 2022
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तेरा क्या मुझसे नाता है..थोड़ा रूहानी हो जाए...❣️❣️❣️❣️❣️❣️आज एक गीत सुन रही थी....तेरा क्या मुझसे नाता है, क्यों इतना प्यार लुटाता है... बाबा ओ बाबा... ❣️❣️❣️❣️❣️

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परमात्मा की सीख और अनुभव-थोड़ा रूहानी हो जाएं🌹🌹🌹🌹🌹🌹

16 सितम्बर 2022
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परमात्मा की सीख और अनुभव 🌹🌹🌹🌹🌹🌹आज मैं एक गीत सुन रही थी.... मत कर तू अभिमान रे बन्दे, झूठी तेरी शान.... 🌹मै शौच रही थी कि

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👑ये दुनिया नही है जागीर किसी की...👑थोड़ा रूहानी हो जाये...

24 अगस्त 2022
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👑👑👑👑 आज मैं ये गीत सुन रही थी... ये दुनिया नही है जागीर किसी की....राजा हो या रंक यहां पर सब है चौकीदार.....&

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🌹देख तेरे संसार की हालत...🌹थोड़ा रूहानी हो जाएं

22 अगस्त 2022
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आज मैं गीत सुन रही थी....देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान....कितना बदल गया इंसान.... 🌹🌹🌹🌹 🌹मेरे मन में कुछ चिंतन चल रहा था कि आज के युग में इतनी बुराइयां इतन

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🙏तुम्ही हो माता पिता तुम्ही🙏 रूहानी हो जाएं

1 अगस्त 2022
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✳️🙏तुम्ही हो माता पिता तुम्ही..✳️🙏 रूहानी हो जाएं✍️ 🙏✳️🙏✳️🙏✳️🙏✳️🙏"तुम्ही हो माता पिता तुम्हीं हो तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्हीं हो.....कौन है वो....आज

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🌹राह बदलें और खुश रहे..🌹थोड़ा रूहानी हो जाएं..

2 अगस्त 2022
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🌹राह बदलें और खुश रहे...🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹खुश रहना आपका अधिकार है। किसी ने कहा है कि....अगर किसी रास्ते पर सिर्फ और सिर्फ कांटे है। तो आप पूरे रास्ते पर कार्पेट नहीं बिछा सकते।फ

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😢मुखड़ा देख ले दर्पण में..😢

2 अगस्त 2022
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😢मुखड़ा देख ले दर्पण में..😢 थोड़ा रूहानी हो जाएं... मुखड़ा देख ले प्रानी ज़रा दरपन में, देख ले कितना पुण्य है कितना पाप तेरे ज

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🌹आत्मा और शरीर🌹थोड़ा रूहानी हो जाएं..

4 अगस्त 2022
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🌹आत्मा और शरीर🌹 थोड़ा रूहानी हो जाएं.. 🌹🌹🌹🌹सोचिये शरीर और आत्मा का आपस में क्या संबंध है।उत्तर :शरीर और आत्मा का संबंध इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं,

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✳️ वो घर बहुत हसीन है✳️ थोड़ा रूहानी हो जाए..

4 अगस्त 2022
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✳️ वो घर बहुत हसीन है✳️थोड़ा रूहानी हो जाए.. ✳️✳️ ✳️✳️ ✳️✳️✳️आज मैं एक गीत सुन रही थी। बोल थे: "ये तेरा घर ये मेरा घर,किसी को देखना हो अगर, तो पहले आके मांग ले, मे

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✴️ मित्र कौन, दुश्मन कौन✴️ थोड़ा रूहानी हो जाएं....

6 अगस्त 2022
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✴️ मित्र कौन, दुश्मन कौन✴️ थोड़ा रूहानी हो जाएं.... ✴️✴️✴️✴️ ✴️ये

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भ्रकुटी के मध्य सितारा ✴️ थोड़ा रूहानी हो जाएं.....

5 अगस्त 2022
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✴️भ्रकुटी के मध्य सितारा ✴️ थोड़ा रूहानी हो जाएं..... ✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️ पंच तत्व की बनी चदरिया, चदरिया झीनी रे झ

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