था कोई जिससे हम नजरें,
मिला नहीं पाए थे ।
हाल- ऐ- दिल उसको,
बता नहीं पाए थे ।
था कोई जो अक्सर,
मेरे ख्वाबों में आता था ।
था कोई जो इस दिल को,
हद से ज्यादा भाता था ।
था कोई जो अजनबी होकर भी,
अपना सा लगता था ।
हकीकत था वो मगर,
सपना सा लगता था ।
था कोई जो अक्सर ,
मेरे खयालों में रहता था ।
था कोई जो अपनी खामोशी से,
बहुत कुछ कहता था ।
था कोई जो मुझसे,
खामोश मोहब्बत करता था ।
कुछ कहता नहीं था,
शायद बहुत डरता था ।
था कोई जिसे इजहार की,
इजाजत नहीं थी।
था कोई जिसने मुझसे प्यार करने की,
शरारत की थी।
हाँ! वही था जिसके लिए,
मेरा दिल बेकरार हुआ था ।
अजनबी था वो जिससे ,
मुझे कभी प्यार हुआ था ।
यह नादानी थी मेरी,
यह बात मैने कुबूल की थी।
वो भी नासमझ ही था,
जिसने एक "बागी" से प्यार करने की ,
भूल की थी।