मम्मी सुबह हों गई।उठो मम्मी अब आंखे खोलो, किचन मे जाकर बर्तन धोलो ।बीती रात एफबी, वट्सेप, ट्यूटर से चाइटिंग करने मे।उठो मम्मी सुबह का नाशता बनाओ, हमे नहलाओं।साफ़सुथरा ड्रेस पहनाओ लांच लगा कर बस्ता सजाओ।पापा भी बेड मे सो रहे हैं, तुम भी अभी अलसाई हों । उठो मम्मी अब आंखे खोलो, किचन मे जाकर बर्तन धोलो
वो थकी हारी जब आती है काम से ,और फिर भी खुश है जीवन के इनाम से | बिना किसी फल के करती रहती है वो श्रम, माँ कहते है लोग जिसे नाम से | ममता की देवी , त्याग की मूरत ,करुणामयी लगती है देखने मै जिसकी सूरत | खुद ना खाये पर