अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्मकता समाज के काम आनी चाहिए। जिस तरह एक दीपक के लिए अकेले जलने से बेहतर है, दीपकों की कतार में जलना। उसी तरह व्यक्ति के लिए समाज से जुड़े रहकर अपने जीवन को सार्थक बनना चाहिए। इस कविता में दीपक प्रतिभाशाली व्यक्ति का प्रतीक है और पंक्ति समाज का प्रतीक है। कवि कहता है कि हम द्वीप है यह कोई अभिशाप नहीं है यह भाग्य है भाव भाग्य के अनुसार ही हम समाज का भाग हैं जिस प्रकार द्वीप नदी का पुत्र है उसकी गोद में बैठा है नदी द्वीप को विशाल जमीन से मिलाती है वह द्वीप का पूर्वज है उसी प्रकार व्यक्ति समाज का पुत्र है वह समाज की गोद में बैठा है, समाज व्यक्ति को परम्पराओं से आपसी संबंधों को सर्वथा नवीन दृष्टि से देखा गया है।
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