"पगडंडी" ग्रामीण जनजीवन पर आधारित एक काव्य संग्रह है, जिसमें गाँवों की सहजता, प्राकृतिक सुंदरता, और वहाँ के लोगों की संघर्षमयी लेकिन संतुलित जीवनशैली को प्रस्तुत किया गया है। इस संग्रह की कविताएँ गाँव की पगडंडियों से जुड़ी यादें, किसानों का परिश्रम, खेतों की हरियाली, और गाँव की सांस्कृतिक धरोहरों का चित्रण करती हैं। कविताओं में ग्रामीणों के आत्मविश्वास, उनकी चुनौतियों, और कठिनाइयों का बारीक वर्णन किया गया है। संग्रह में जहां एक ओर गाँव की सादगी और शांतिपूर्ण जीवनशैली की महक है, वहीं दूसरी ओर आधुनिकता और शहरीकरण से आ रही चुनौतियों का चित्रण भी है। "पगडंडी" के माध्यम से पाठक गाँवों के लोगों के संघर्ष, उनके आपसी सहयोग, परंपराओं और त्यौहारों से रूबरू होते हैं। इस संग्रह की कविताएँ पाठकों को न केवल ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों से परिचित कराती हैं, बल्कि उनके अदम्य साहस, प्रेम, और प्रकृति के साथ गहरे संबंध को भी महसूस कराती हैं। कुल मिलाकर, "पगडंडी" गाँव की पगडंडियों से शुरू होकर ग्रामीण जीवन की जड़ों और आत्मीयता का स्पर्श कराती है।