एक पँछी जब पिजड़ों से आजाद हुई
उड़ चली वो उन ऊँची ऊँची पहाड़
पर्वत सब हो नीचे छोड़ आसमानो की
उड़ान लिए वो सब को पीछे छोड़ आगे
निकल गई जो हुआ कल की बात थी जो
चली गई अब आने वाला पल ओर आने
वाला कल मेरे हाथों में है तो किस बात का
है सिखवा किस बात का गिला सब खुद पे
हो यकीन तो हासिल सारी दुनिया की ताकत
है सोच लिए पड़ चली इसकदर की दुबारा लौट
ना पीजोडों में आई अब है जीवन भर की आजादी
औऱ ख्वाबो का जहाँ आसमानो की संसार मे
खुसियो के झूले में झूलती रहती