यह पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह है। सभी पढ़ें और आनंद लें।
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खेल रहे हैं उन्मुक्त और मगन गरीबो के बच्चे  
आज मैं हूं खड़ा रणक्षेत्र मेंअकेला निसहाय:मुझे मेरा कृष्ण दिला दो मुझे मेरी जीत दीखा दोहैं सब ही कमजोर दिवारें खड़ा हूं जिन्के सहारेसारथी कृष्ण दिला दो मुझे एक दिशा दीख
<div>आज मैं हूं </div><div>खड़ा रणक्षेत्र में</div><div>अकेला निसहाय:</div><div>मुझे मेरा कृष्ण दिला दो </div><div>मुझे मेरी जीत दीखा दो</div><div><br></div><div>हैं सब ही कमजोर
शहर में कौआ प्यासा था और उसने अपने बड़ों से सुना था कि एक पेड़ के नीचे आपको पानी से भरा एक घड़ा मिलेगा इसलिए उसने उसे खोजना शुरू कर दिया। पहले तो उसे शहर में एक भी पेड़ नहीं मिला। अंत में उसे वह मिल ग