माँ बाप की परी तो सब लडकिया होती है परन्तु असली परी तो वो होतो जो माँ बाप की इज्जत को मरते दम तक बनाए रखे मरने के बाद ससुराल में पति के कंधे पर ही अर्थी निकल नी चाहये परन्तु आज कल युग में सब धीरे धीरे बदल रहा है इसके जिम्मेदार हम खुद है हम ऊपर से तो बदल गए है परन्तु आज भी हम सभ्यता से कोसो दूर है