यह संसार एक वृक्ष के सामान है जिस पर दो सूंदर पंख वाले पक्षी उड़ते -उड़ते आकर प्राय : बैठते रहते है इसमें एक पक्षी वृक्ष के स्वादिष्ट फल चखता है अर्थात संसार का सुख दुःख भोगता है जबकि उसके साथ का दूसरा सांसारिक दुःख -सुख से परे रहता है और जीवन एक पक्षी के तरह है जिसके लिए इस संसार आने और जाने का समय निश्चित है इस प्रकार जीवन चलने लगता है और दूसरा पक्षी हमें ज्ञान से परिचित कराता है इस दूसरे पक्षी की आती आवाज ही ज्ञान है और संसार के सुखो को केवल वो ही समझ सकता है जिसने ज्ञान प्राप्त किया हो