खद कामनाए हिरदै को इस तरह निर्देशित करने में जुट जाती है और हम एक पति को समिर्पित पत्नी की तरह उन इंछाओ की दास बन जाते है इच्छाए परिछाई की तरह हमसे दूर भागती है और हमं अपनी इच्छाओ की पीछे भागने लगते है इच्छाए शिलाखंड से गिरने वाले जल की सामान वेगवान होती है