जीवन में बड़े सूंदरऔरआकर्षण सपने आते है यह सपने कल्पना में भी उठते है और कभी - कभी प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर भी हो जाते है जब मन इन मोहिनी रूप को प्राप्त करने को उद्दत हो उठता है इच्छाए हे साध्य बन जाती है और जीवन मन जीवन की मर्यादाओ को लांघकर उस मोहिनी आकर्षण को प्राप्त करने को आतुर हो उठता है तब उसके पाव धरती से उखड़ जाते है और वह घर का न घाट का हो जाता है मोहक आकर्षण इन्दिर्यो को उत्तेजित हे करता है और उसकी बुद्धि भ्रस्ट हो जाती है और धीरे धीरे अपना सब कुछ गवा देता है न जाने कितने युग बीत गए समय का चक्र हमें नचाता रहता है औरअपनी धरती माँ, अपनी संस्कृति व मानवीय गरिमा को कुचलने वाले है हम खुद ही है