प्यार तो सभी करते है परन्तु कुछ लोग केवल आत्मा से प्यार करते है कुछ कामवासना के इछाओ की पूर्ति के लिए उनमे से एक उदाहरण सुरग के अफसरा उर्वशी और राजा पुनर्वा है जो उर्वशी के प्यार में पागल हो चूका था और काम वासना चरम सीमा पर थे हेर वक़्त दोनों प्यार मोहब्त और काम वासना की बाटे ज्यादा करते थे परन्तु फिर भी उनके प्यार को सच्चा प्यार हे कहा जाता है एक बार राजा पुनर्वा ने एक अपना वचन भांग केर दिआ था तो उर्वशी उसे छोड़ केर सुरग चली गई थी तबी से राजा पागल सा हो गया था और पूर्व उसके पीछे पीछे सुरग जा पंहुचा था और उससे काफी मिन्नते की और कहा था की तुम्हारे मिलन की बिना मैं मर जाउगा और कहा की अगर तुम धरती पर वापिस नहीं गई तो में मर जाउगा तब उर्वशी ने कहा की ठीक है में चलती हूँ उसने कहा की मैं केवल आपके एक पुत्तर को हे जन्म दूगी अगर शर्त मरे मंजूर हो तो चलो राजा को मनो इसी पल का इंतजार था और वो मान गया तब घर आकर राजा ने उर्वशी को चूमते हुए कहा की उर्वशी तुमसे विलग होना हमरे लिए कितना दुखदाई रह था मैं शक्ति शैली ज़र्रों हूँ परन्तु मैं किसी की साथ छीना जापट्टी नहीं केर सकता आओ मरे पास आओ और अपने बदन का सोमरस मुझे प्याओ तब उर्वशी मन की भावो को समज़ते हए राजा से लिपट गई और दोनों वासना में आनद में गोते लगाने लगे