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पौराणिक

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गुरुतत्व संधान ध्याम मूलं गुरुर मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्।मन्त्र मूलं गुरुर वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥   किसी समस्या केलिए कोई साधक विधान बताए वो समस्या के निराकरण का मात्र विधान है

अनजाने में किये हुये पाप का प्रायश्चित कैसे होता हैबहुत सुन्दर प्रश्न है, यदि हमसे अनजाने में कोई पाप हो जाए तो क्या उस पाप से मुक्ति का कोई उपाय है।श्रीमद्भागवत जी के षष्ठम स्कन्ध में, महाराज राजा

वेदव्यास जी के पुत्र थे शुकदेव। शुकदेव परम ज्ञानी होते हुए भी उनको भीतर पूर्णता महसूस नहीं होती थी। इसके लिए वेदव्यास जी ने शुकदेव को राजा जनक के पास भेजा। मिथिला पहुंचकर शुकदेव वहां की शानदार अट

भगवान श्रीकृष्ण का मुक्ताचरित्र!भगवान श्रीकृष्ण की इस लीला का वर्णन श्रीरघुनाथ गोस्वामीजी ने अपने ग्रन्थ ‘मुक्ताचरित’ में किया है । इस दिव्य लीला का स्थल गोवर्धन में श्रीराधाकुण्ड के पास पश्चिम दिशा म

हजार नामों के समान फल देने वाले भगवान सूर्य के इक्कीस नाम !भगवान सूर्य का अवतरण संसार के कल्याण के लिए हुआ है इसलिए पंचदेवोपासना में उनका विशिष्ट स्थान है। शास्त्र कहते हैं कि ‘आरोग्यं भास्करादिच्छेत

भृंगी की कथा महादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। भृंगी की कथामहादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। कहते

श्रीगणेश की संक्षिप्त पूजा विधिगणेशजी को प्रसन्न करना बहुत ही सरल है । इसमें ज्यादा खर्च की आवश्यकता नही है । पूजा-स्थान में गणेशजी की तस्वीर या मूर्ति पूर्व दिशा में विराजित करें । यदि मूर्ति या तस्व

मथुरा के अत्याचारी राजा कंस की जो दो पत्नीयां है अस्ति और प्राप्ति, मैं आपसे एक बात कहूँ- कंस कहते हैं अभिमान को और अभिमान की दो पत्नी हैं अस्ति और प्राप्ति, ये जरासंध कि पुत्रियां थी, भागवत् में लिखा

प्रभु के वक्षस्थल पर विप्र-चिह्न!जानिए आखिर क्यों भृगु ऋषि में मारी भगवान विष्णु के लात पौराणिक कथा!!!दुर्वासा मुनि की बात छोड़ दी जाए तो यह कहना गलत नही होगा कि ऋषि-मुनि जल्दी नाराज नहीं होते थे। लेकि

विष्णु कौन है? इस चित्रण में विष्णु को एक इंसान के रूप बनाया गया था, या भारतीय प्राचीन ऋषियों द्वारा मानव जाति के लिए इस परम निरपेक्ष चेतना को समझने के लिए यह चित्र नियोजित किया गया था, । हम इस च

मरणासन्न_व्यक्ति_के_लिए_कल्याणकारी_कर्म!!सब से पहले भूमि को गोबर से लेपना चाहिए। फिर जल की रेखा से मंडल बना कर , उस पर तिल और कुश घास बिछा कर मरणासन्न व्यक्ति को उस पर सुला देना चाहिए । उस के मूंह में

हनुमान हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पौराणिक चरित्र हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान एक वानर वीर थे।श्री हनुमानजी भगवान् के भवन के मुख्य

 बहुत ज्ञानवर्धक प्रसंग है,महाभारत से,यक्ष-युधिष्ठिर संवाद। यक्ष ने युधिष्ठिर से सौ आध्यात्मिक प्रश्न किये थे,युधिष्ठिर ने बड़े धैर्यपूर्वक सभी प्रश्नों का उत्तर दिये  अज्ञातवास के समय प

गौ भक्त राजर्षि दिलीप की कथाशास्त्रो में राजा को भगवान् की विभूति माना गया है। साधारण व्यक्ति से श्रेष्ट राजा को माना जाता है, राजाओ में भी श्रेष्ट सप्तद्वीपवती पृथ्वी के चक्रवर्ती सम्राट को और अधिक श

भीष्म पितामह के पांच तीरजब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें कहने लगा कि आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं।भीष्म पितामह को काफी गुस

मनुष्य_की_संरचनासंसारमे सभी जीव मनुष्य एंव प्रकृति कोई आकस्मिक घटना नही है बल्कि इन सबका विकास चेतना शक्ति का आधार ज्ञान है । जिसके बिना किसी भी प्रकार की रचना एवं विकास संभव ही नही है ज्ञान शक्ति ही

भगवान में मन क्युं नहीं लगता यह एक सामान्य सच्ची घटना है । किंतु हमारी सम्पूर्ण समस्याओ का मूल इसी में छिपा हुआ है ।एक युवक अपनी समस्या के समाधान के लिए एक संत के पास गया । उसने संत से कहा की हमा

पुनर्जन्मसांसारिक भोगों की वासना ही जीव के पुनर्जन्म का मुख्य कारण है वासना रहित होने पर मन का पुनर्जन्म नही होता है अतृप्त इच्छाएँ ही वासना का रूप लेती है।पुनर्जन्म का दुसरा कारण जीव की चेतना का विका

क्या_मन_की_मृत्यु_हैमनुष्य मूलतः आत्म स्वरूप है प्रकृति के साथ उसका संयोग भी अनादि है इस संयोग से ही सर्वप्रथम मन का निर्माण होता है। यही मन अहंकार एवं वासनायुक्त होकर प्रकृति तत्त्वों का संग्रह कर अप

           *" क्रोध "भीष्म के जीवन का एक ही पाप था कि उन्होंने समय पर क्रोध नही किया और जटायु के जीवन का एक ही पुन्य था उसने समय पर क्रोध किया। परिणाम स्वरुप एक को वाणों

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