परतिय-रत रावन बध्यौ, पर-धन-रत तिमि कंस। राम कृष्ण जय सूर ससि, करन मोह अघधंस ।। 1 ।। (भण्डाचार्य आता है) भण्डाचाय्र्य : (लम्बी सांस लेकर) ”पर नारी पैनी छुरी, ताहि न लाओ अंग। रावनहू को सिर गयो, प