उस बंधन की दूं दाद,
न उम्र की ग़लती का हाथ।
न जन्म का पुराना साथ,
ऊपर से बनी जोड़ी रब हाथ।
यह प्रणय बंधन था खास,
बंधा पावन रीति-रिवाज।
तन-मन से एक साथ,
लगाव, सामंजस्य, सौहार्द ।
समर्पण और विश्वास,
सजन साथ वो श्रृंगार।
इश्क प्रीत लाड़ प्यार,
जिंदगी मे हमसफ़र नात ।
सुख-दुख के साथी साथ,
संग चलती जीवन नाव।
- सीमा गुप्ता