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प्रेमा

मुंशी प्रेमचंद

12 अध्याय
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12 फरवरी 2022 को पूर्ण की गई
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प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। प्रेमा मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया पहला उपन्यास है. यह उपन्यास मूलतः उर्दू भाषा में लिखा गया था. उर्दू में यह ‘हमखुर्मा व हमखवाब‘ नाम से प्रकाशित हुआ था. यह उपन्यास विधवा विवाह पर केंद्रित है, जो प्रेमा पूर्णा और अमृतलाल जैसे पात्रों के इर्द-गिर्द रचा गया है और उनके जीवन का चित्रण कर तत्कालीन सामाजिक स्थिति को उजागर करता है. प्रेमचंद के 1906-1936 तक के साहित्य सामाजिक दस्तावेज के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं। उन्होंने प्रत्येक समस्याओं पर जीता जागता कलम चलाया है। हमें उनके उपन्यास में केवल समस्या ही नहीं देखने को मिलता, बल्कि, उसके कारण तथा उपचार की ओर भी संकेत स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होता है। ‘प्रेमा’ में भी उन्होंने तत्कालीन हो रहे सामाजिक सुधार, उनके विरोध, स्त्रियों की दशा और पंडितों के बाह्याडम्बर और बाबाओं के नैतिक पतन व स्वार्थता को जीवन्त रूप में चित्रित किया। बाल-विवाह, विधवा विवाह, पुरूषसत्तात्मकता में तत्कालीन स्त्रियों की सामाजिक स्थिति, पंडितों के पाखण्ड तथा विलासयुक्त क्रियाकलापों को हम प्रेमचंद के इस प्रारम्भिक उपन्यास में ही देख सकते हैं। तत्कालीन समाज में स्त्रियों की क्या स्थिति थी, समाज उनके एक जीवन को कितने-कितने किरदारों में ढालना चाहता है, उसे हम ‘प्रेमा’ उपन्यास में बख़ूबी देख पाते हैं। 

prema

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पुस्तक के भाग

1

प्रेमा भाग 1

4 फरवरी 2022
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सच्ची उदारता संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढ़ंग की मनोहर तसवीर

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प्रेमा भाग 2

4 फरवरी 2022
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जलन बुरी बला है लाला बदरीप्रसाद अमृतराय के बाप के दोस्तों में थे और अगर उनसे अधिक प्रतिष्ठित न थे तो बहुत हेठे भी न थे। दोनो में लड़के-लड़की के ब्याह की बातचीत पक्की हो गयी थी। और अगर मुंशी धनपतराय द

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प्रेमा भाग 3

4 फरवरी 2022
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झूठे मददगार बाबू अमृतराय रात भर करवटें बदलते रहे। ज्यों-ज्यों उन्होने अपने नये इरादों और नई उमंगो पर विचार किया त्यों-त्यों उनका दिल और भी दृढ़ होता गया और भोर होते-होते देशभक्ति का जोश उनके दिल में

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प्रेमा भाग 4

4 फरवरी 2022
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जवानी की मौत समय हवा की तरह उड़ता चला जाता है। एक महीना गुजर गया। जाड़े का कूँच हुआ और गर्मी की लैनडोरी होली आ पहुँची। इस बीच में अमृतराय ने दो-तीन जलसे किये और यद्यपि सभासद दस से ज्यादा कभी न हुए मग

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प्रेमा भाग 5

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अँय ! यह गजरा क्या हो गया? पंडित बंसतकुमार का दुनिया से उठ जाना केवल पूर्णा ही के लिए जानलेवा न था, प्रेमा की हालत भी उसी की-सी थी। पहले वह अपने भाग्य पर रोया करती थी। अब विधाता ने उसकी प्यारी सखी पू

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प्रेमा भाग 6

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पूर्णा ने गजरा पहिन तो लिया। मगेर रात भर उसकी ऑंखों में नींद नहीं आयी। उसकी समझ में यह बात न आती थी। कि अमृतराय ने उसे गज़रा क्यों दिया। उसे ऐसा मालूम होता था कि पंडित बसंतकुमार उसकी तरफ बहुत क्रोध से

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प्रेमा भाग 7

4 फरवरी 2022
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आज से कभी मन्दिर न जाऊँगी बेचारी पूर्णा, पंडाइन, चौबाइन, मिसराइन आदि के चले जाने के बाद रोने लगी। वह सोचती थी कि हाय। अब मैं ऐसी मनहूस समझी जाती हूं कि किसी के साथ बैठ नहीं सकती। अब लोगों को मेरी सूर

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प्रेमा भाग 8

4 फरवरी 2022
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कुछ और बातचीत पूर्णा ने कान पकड़े कि अब मंदिर कभी न जाऊगी। ऐसे मंदिरों पर दई का कोप भी नहीं पड़ता। उस दिन से वह सारे घर ही पर बैठी रहती। समय काटना पहाड़ हो जाता। न किसी के यहॉँ आना न जाना। न किसी से

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प्रेमा भाग 9

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तुम सचमुच जादूगर हो नौ बजे रात का समय था। पूर्णा अँधेरे कमरे में चारपाई पर लेटी हुई करवटें बदल रही है और सोच रही है आखिर वह मुझेस क्या चाहते है? मै तो उनसे कह चुकी कि जहॉँ तक मुझसे हो सकेगा आपका कार्

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प्रेमा भाग 10

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विवाह हो गया यह ऑंखों देखी बात है कि बहुत करके झुठी और बे-सिर पैर की बातें आप ही आप फैल जाया करती है। तो भला जिस बात में सच्चाई नाममात्र भी मिली हो उसको फैलते कितनी देर लगती है। चारों ओर यही चर्चा थी

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प्रेमा भाग 11

4 फरवरी 2022
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विरोधियों का विरोध मेहमानों के बिदा हो जाने के बाउ यह आशा की जाती थी कि विरोधी लोग अब सिर न उठायेंगे। विशेष इसलिए कि ठाकुर जोरावार सिंह और मुंशी बदरीप्रसाद के मर जाने से उनका बल बहुत कम हो गया था। मग

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प्रेमा भाग 13

4 फरवरी 2022
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शोकदायक घटना पूर्णा, रामकली और लक्ष्मी तीनों बड़े आनन्द से हित-मिलकर रहने लगी। उनका समय अब बातचीत, हँसी-दिल्लगी में कट जात। चिन्ता की परछाई भी न दिखायी देती। पूर्णा दो-तीन महीने में निखर कर ऐसी कोमला

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