प्रिय पाठकों पिछले भाग में आपने पढ़ा सनी गाँव से शहर आ गया था। सनी के साथ उसके दो दोस्त अमन और सुमन भी शहर आए हुए थे। सनी एक कैदी की तरह रैह रहा था वो अपने कमरे से भी बाहर निकलना पसंद नहीं करता था। अमन और सुमन से फ़ोन पर उसकी बातें होती रैहती थी। सनी कभी-कभी बालकोनी में हवा खाने निकल आता था। वही पर सनी को एक बालक दिखा था जो की मकान मालिक के घर में रैहता था। सनी को वो बालक अच्छा लगने लगा और वो उस बालक के प्रति मोहित हो गया था। सनी उस बालक से पुत्र प्रेम करने लगा था। वो बालक सनी के मकान का दरवाजा पिट रहा था। सनी चुपचाप उसे देख रहा था। सनी नीचे जाकर दरवाजा ख़ूबता है। दरवाजा खुलने के बाद सनी ने करीब से उस बालक को देखा और गैहरी कल्पनाओं में डूब गया था। और अब आगे...............
बालक को देखकर सुनी गैहरी कल्पनाओं में डूब गया। सनी कभी उसे बाइक पर बैठकर घुमाता तो कभी उसके लिए आइसक्रीम खरीदता। कभी उसे चश्मा दिलाता तो कभी मेला घुमाता तो कभी बाहों में भड़कर प्यार करने लगता। न जाने कैसा-कैसा कल्पचित्र सनी के दिमाग में तैर रहा था। वो बालक किस काम के लिए आया था सनी को कुछ पता नहीं चला वो तो बस कल्पनाओं में डूबा रहा तब तक वो बालक अपना काम करके जा चुका था। अब सनी को जल्दबाजी में काम करना था। उसे जो भी करना था बहुत जल्द करना था। क्योंकि जैसे-जैसे दिन गुजरता जा रहा था वैसे-वैसे उसके पास वक़्त का कमी होता जा रहा था। क्योंकि उसे गाँव भी लौटना था सनी के पास वक़्त बहुत कम था। धीरे-धीरे करके सनी उस बालक से करीबी बढ़ाने लगा। सनी उससे दोस्ती करना चाह रहा था। सनी उसके पास जाता उससे बात करने की कोसिस करता पर पता नहीं क्यूँ वो बालक सनी से दूरी बनाए रखता था। न तो वो सनी से बात करना चाहता था और न ही वो सनी के आस पास रैहना चाहता था। पता नहीं कैसी चिढ़ थी उसे सनी से। आज का दिन भी बस यूं ही बीत गया। वो बालक कब आया था और कब सनी के आँखों के सामने से ओझल हो गया सनी को कुछ पता नहीं चला। वो तो उस बालक को लेकर न जाने कैसी-कैसी कल्पनाओं में डूबा हुआ था। वो उस बालक के मोह में बुरी तरह फस चुका था। स्नेह और करुणा में पूरी तरह डूब गया था सनी। पुत्र प्रेम ने उसे उस बालक का दीवाना बना दिया था। सच में ये प्यार भी अजीब होता है और इसके अनेकों भाव है अनेकों रूप रंग है। और ये प्यार हमारे साथ अनेकों रिस्तो को जोड़ता तोड़ता और निभाता है। प्रेम अंधा होता है हो सकता है ये कहाबत सच होगा। लेकिन मुझें नहीं लगता की प्रेम अंधा है। प्रेम वो सब कुछ देख सकता है जो हम अपनी नंगी आँखों से नहीं देख सकते। सच कहूँ तो प्रेम से खूबसूरत और कोई चीज़ इस दुनियाँ में है ही नहीं। दो अनजान को रिस्तो के बंधन में बंध देती है ये प्रेम। प्रेम का मतलब है प्यार और ये प्यार कभी भी हो सकता है किसी से भी हो सकता है। किसी लड़के को किसी लड़की से हो जाए तो प्रेम कहलाती है और कुछ और ही रिश्ता निभाती है। वैसे एक लड़की और एक लड़का के बीच क्या रिश्ता होगा मुझें नही लगता की आपलोगो को बताने की जरूरत है। प्यार जिंदगी भर के लिए भी होता है और पाँच मिनट के लिए भी। वही प्यार किसी पक्षी या जानवर से हो जाए तो दया और करुणा कहलाती है और इंसान और जानवर को एक अजीब सी रिश्ते में बांधकर रखती है। वही दो लड़कों में प्यार हो तो दोस्ती कहलाती है। और मुझें नहीं लगता की दोस्ती के रिश्ते के बारे में मुझें आपको बताने की जरूरत है। आप सब खुद ही जानते है इस जहाँ का सबसे बड़ा रिश्ता दोस्ती का रिश्ता है। वैसे दो लड़कों के बीच किसी और तरह का भी प्यार होता है, छोड़िए इसके बारे में अभी बात नहीं करेंगे। वही प्रेम किसी बच्चे या बालक से हो जाए तो स्नेह कहलाती है। और एक दूसरे को रिस्ते की डोर में बांधे रखती है। यह प्यार किसी का भी हो सकता है। बड़ा भाई छोटा भाई का हो सकता है दोस्त, दोस्त का हो सकता है चाचा भतीजा का हो सकता है दादा पोता का हो सकता है बाप बेटा का हो सकता है और दो अनजान के बीच भी हो सकता है। प्रेम ही तो है किसी को भी किसी से भी हो सकता है। बहुत से लोग प्यार का पता नहीं क्या-क्या अर्थ निकालते है। अगर सोचने का तरीका बदल दिया जाए , अगर देखा जाए की अगले को किस भावना से देखा जा रहा है किस तरह से प्रेम किया जा रहा है तो प्यार का तो नज़रिया ही बदल जाएगा। सच में ऐसे में प्यार का एक अलग ही रूप होगा और एक अलग ही अंदाज़ होगा। कुछ इसी तरह के एक अलग नज़रिए से एक अलग अंदाज से उस बालक से प्रेम कर रहा है सनी। अगर यहाँ पर मैं पुत्र प्रेम को सबसे बड़ा प्रेम का दर्जा दूँ तो शायद मैं गलत नहीं हूँ। क्योंकि सबसे अलौकिक प्रेम है पुत्र प्रेम। उस बालक से बेटे का प्यार पाने के लिए कितना तड़प रहा है सनी। काश की दोनों में दोस्ती हो पाता। काश की दोनों एक दूसरे के साथ समय बिता पाते काश की दोनों एक दूसरे से बात कर पाते। और अपने-अपने मन की भावना एक दूसरे को बता पाते। पता नहीं वो घड़ी कभी आएगी भी या नहीं। शाम का समय है सनी हर दिन की तरह बालकोनी में खड़ा नीचे आते-जाते लोगो को देख रहा है। आज वो कुछ सुस्त सा है। लटका हुआ चेहरे के साथ कुछ उदास सा लग रहा है सनी। देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे की जरूर उसके साथ कुछ न कुछ हुआ है। पता नहीं आज तो वो कोई हरकत भी नहीं कर रहा है। कान में ईरफ़ोन लगाए एक ही जगह पर उदास खड़ा है।
कहानी जारी रहेगी.............