अब तक आपने पढ़ा आयुष सनी के कमरे पर आया था। दोनों में बाते हुई दोनों को एकदूसरे से बात करके अच्छा लगा। दोनों दोस्त बनना चाहते थे। शाम को सनी का मन विचलित हो गया तो वो टहलने नीचे आ गया। नीचे अमित से सनी की मुलाकात हुई। सनी अमित से बड़े ही कठोरता से बात कर रहा था। कोई तो ऐसी बात थी जो सनी सबसे छुपा रहा था। और अब आगे.......
अमित की बातों का सनी ने कोई जबाब नहीं दिया। तुम यहाँ कब से रैहते हो सीघ्र ही सनी ने अमित के सामने एक और सवाल रख दिया था। यही तीन चार साल से अमित ने बड़े ही विषमय मन से जबाब दिया। उसे सनी पर कुछ शक होने लगा था। आखिर सनी उससे ऐसा सवाल क्यों पूछ रहा था। आखिर कौन है ये सनी और ये चाहता क्या है। ढेर सारा प्रश्न अमित को अंदर ही अंदर खाने लगा था। अमित अपना जबाब देने के बाद चुप था। सनी भी अभी कोई सवाल नहीं कर रहा था वो भी बिल्कुल चुप था। दोनों एकदूसरे को देख रहे थे। इतने में सनी को आभास हुआ की कोई कार के पीछे आ छुपा था और उनदोनो की बातें सुन रहा था। कार के पीछे छुपा हुआ सख्स और कोई नहीं आयुष था। सनी को समझते जरा भी देर नहीं लगी थी की वो आयुष ही था। भगवान जाने वो छुपकर दोनों की बातें क्यों सुन रहा था। तुम्हारा घर यही है या फिर तुम भी बिहारी हो सनी ने अमित से पूछा। नही मैं सहरसा से आया हूँ। अच्छा फिर तो तुम्हारे माता पिता भी आए होंगे साथ में। अमित का बात पूरा भी नहीं हुआ था की सनी ने एक और सवाल पूछ दिया। नहीं मैं अकेले ही आया हूँ मम्मी घर पर रैहती है अमित ने कहा। और पापा, वैसे तुम्हारे पापा करते क्या है। क्या वो तुम्हारे साथ नहीं रैहते सनी ने फिर से सवाल किया। मेरे पापा नहीं है वो तीन साल पहले ही गुजर गए तभी मैं मामा के साथ यहाँ आ गया अमित ने उदास होते हुए कहा। सनी भी इसके आगे न कुछ पूछ सका और न ही कुछ बोल सका। कुछ देर तक सन्नाटा पसरा रहा। आयुष भी चुपचाप कार के पीछे से उनदोनो पर नज़रे गड़ाए हुए था। कुछ देर के बाद सनी चुप्पी तोड़ते हुए इधर-उधर की बाते करने लगा बाते करते-करते दोनों सड़क पर टहलने लगे। आयुष भी छुपते छुपाते दोनों का पीछा कर रहा था। आयुष सुनने की पूरी कोसिस में था की आखिर दोनों में क्या बातें हो रही है। कुछ पल के बाद अमित के मामा काम से लौट आए थे उन्होंने अमित को बुला लिया। अमित चला गया था। अभी सनी बिल्कुल अकेला था। कुछ ही पल के बाद आयुष सनी के पास आया। क्या हाल है भइया आप ठीक है आते ही आयुष ने सनी से पूछा। हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ मुझें क्या हुआ है कैहते हुए सनी ने आयुष के चेहरे पर देखा। न जाने क्यूँ आयुष सनी को गुर्राई हुई नज़रों से देख रहा था। आयुष को देखकर सनी समझ गया था की जरूर वो किसी बात को लेकर गुस्से में है। तुम ठीक तो हो तुम्हे कुछ हुआ है क्या गुस्से में लग रहे हो। कैहते हुए सनी आयुष के चेहरे को टकटकी लगाए देखता रहा। नही कुछ भी नहीं हुआ है मुझें वैसे मैं आपके बारे में ही सोंच रहा था की मैं आपसे दोस्ती करूँ या नहीं आयुष ने अपना गुस्सा छुपाते हुए कहा। इसमें सोंचने वाली बात क्या है यह तो तुम्हारे ऊपर है तुम्हारा मर्ज़ी हो तो करो और मर्ज़ी नहीं हो तो ना करो मैंने तो तुम्हारे सामने बस अपना प्रस्ताव रखा था कैहते हुए सनी टहलने लगा। आयुष भी सनी के साथ-साथ टहलने लगा। हाँ लेकिन बेवफा और गद्दार से दोस्ती करके क्या फायदा जिसका एक के साथ रैहकर मन न भरे उससे दोस्ती करना बेकार ही है कैहते हुए आयुष ने अपना दाँत पीस लिया। अरे ये क्या बोल रहे हो तुम सठिया तो नहीं गए हो ऐसी बाते क्यों कर रहे हो मैंने तो तुम्हारे सामने दोस्त बनने का प्रस्ताव रखा था न की बॉयफ्रेंड बनने का। और ये बातें तुम्हारी जगह कोई लड़की बोलती तो जाँचता भी सनी ने गंभीर होते हुए कहा। दोस्त और बॉयफ्रेंड में ज्यादा अंतर नहीं होता है भइया। अगर मैं आपसे दोस्ती कर लूँ तो मेरे अलावा आपका कोई और दोस्त नहीं होना चाहिए आयुष ने दाँत पिस्टे हुए कहा। अरे-अरे ये क्या बात हुई ऐसा भी कभी होता है भला अब मेरा पहले से भी कुछ दोस्त है उसके पास नहीं जाऊँ उससे बाते नहीं करूँ कोई नया दोस्त बने तो नया दोस्त नहीं बनाऊँ ऐसा तो नहीं होगा। मैं तुम्हारा दोस्त बनूँगा तुम्हारे बाप का जागीर नहीं हो जाऊँगा सनी ने खीजते हुए कहा। मैंने ऐसा कब कहा आप अपने पुराने दोस्तों के पास मत जाओ उससे बाते मत करो बस आप उस लड़के से दूर रहो जिससे आप थोड़ी देर पहले बात कर रहे थे तभी मैं आपका दोस्त बन पाऊँगा आयुष ने कहा। अच्छा तो ये बात है कौन अमित उससे तुमको क्या दिक्कत होने लगा भला सनी ने कहा। वो सब मैं कुछ नहीं जानता आप उससे दूर रहो बस कल मैं आपके घर आऊँगा आपसे मिलने फिर मैं बताऊँगा की मैंने क्या सोचा है कैहते हुए आयुष भन्नता हुआ अपने घर की तरफ चला गया। आयुष को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था की जरूर अमित से उसकी कोई पुरानी दुश्मनी है वो अमित के नाम से बहुत ज्यादा खिज़ा और चिढ़ा हुआ लग रहा था। आखिर अमित से उसको क्या दिक्कत थी ये तो वही जाने। आयुष के जाने के बाद सनी भी अपने घर को लौट आया। अंधेरा चढ़ आया था रात ढल चुकी थी। घर आने के बाद सनी ने झटपट खाना खाया क्योंकि उसका फ़ोन आने वाला था। एक ऐसे शख्स का फ़ोन जिससे दो घंटा से कम बात नहीं करता था सनी। झटपट खाना खा लेने के बाद सनी बालकोनी में आ गया था। बालकोनी में खड़ा सनी फ़ोन का ही इंतज़ार कर रहा था। अभी से दो घंटे तक लगातार वो बाते करते रैहता अपने कुछ दोस्तों से और अपने बीबी से। सनी अभी आकर बालकोनी में खड़ा ही हुआ था की उसने नीचे कुछ बालको का आवाज़ सुना। बालक आपस में लड़ रहे थे। सुनने पर साफ-साफ पता चल रहा था की ये दोनों और कोई नहीं अमित और आयुष ही थे। दोनों में किसी बात को लेकर झड़प हो रही थी। सनी एक किनारे में खड़ा होकर दोनों की बातों को ध्यान से सुनने लगा। ए तुम औकात में रहो अपनी वरना अच्छा नहीं होगा। बहुत पड़ निकल आया है तेरा ज्यादा फड़फड़ाओ नहीं नहीं तो पर काट दिया जाएगा तुम्हारा समझें तुम। आयुष अमित को धमका रहा था।
आखिर आयुष अमित से लड़ क्यों रहा था। ऐसी क्या बात थी की आयुष अमित को औकात में रैहने के लिए बोल रहा था। क्या सनी का फोन आएगा। क्या सनी जाकर दोनों का झगड़ा रोकेगा या फिर चुपचाप तमाशा देखता रहेगा। क्या आयुष और अमित की कोई पुरानी दुश्मनी है या फिर कोई और वजह। दोनों की दुश्मनी की वजह क्या सनी जान पाएगा क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़े अगला भाग। और जरूर करे लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी................….....