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पूजन

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*महादेव की बिल्व पत्रों से पूजा*〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰त्रिदेवों में भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला माना गया है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़’ माना गया है जिसका तात्पर्य यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।नीलकंठ रूपेण करुणामय

*जय श्रीमन्नारायण**स्त्रीयों को गुरू क्यूं नहीं बनाना चाहिये , और संतो को क्यूं स्त्रीयों से दूर रहना चाहिये ,, शास्त्र से*:-------- "" प्रश्न -- हमने गुरूसे कण्ठी तो लेली , पर उनमें श्रद्धा नहीं रही तो क्या कंठी उनको वापस कर दें ?"" उत्तर--कंठी वापस करने के लिए हम कभी समर्थन

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लक्ष्मीपूजन का मुहूर्तजैसा कि सभी जानते हैं कि दीपावली बुराई, असत्य, अज्ञान, निराशा, निरुत्साह, क्रोध, घृणा तथा अन्य भी अनेक प्रकार के दुर्भावोंरूपी अन्धकार पर सत्कर्म, सत्य, ज्ञान,आशा तथा अन्य अनेकों सद्भावों रूपी प्रकाश की विजय का पर्व है और इस दीपमालिका केप्रमुख दीप हैं सत्कर्म, सत्य, ज्ञान, आशा,

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नवरात्र और कन्या पूजनशारदीय नवरात्र हों या चैत्र नवरात्र – माँ भगवती को उनके नौ रूपोंके साथ आमन्त्रित करके उन्हें स्थापित किया जाता है और फिर कन्या अथवा कुमारी पूजनके साथ उन्हें विदा किया जाता है | कन्या पूजन किये बिना नवरात्रों की पूजा अधूरीमानी जाती है | प्रायः अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विधा

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नवरात्रोंमें कन्या पूजन हमारे लेख के शीर्षक से सम्भव है आपकोलगे कि हम कन्या पूजन की विधि लिख रहे हैं | लेकिन उसकी आवश्यकता इसलिए नहीं है किसभी अपने अपने परिवार की परम्परा के अनुसार कन्याओं का पूजन करते हैं | हमारा इसलेख को लिखने के का मन्तव्य कुछ और ही है |कुछ आवश्यक कार्यों में व्यस्त होनेके कारण क

इस बार घट स्थापना वो ही करेजिसने कोई बेटी रुलायी न होवरना बंद करो ये ढोंग नव दिन देवी पूजने का जब तुमको किसी बेटी की चिंता सतायी न हो सम्मान,प्रतिष्ठा और वंश के दिखावे में जब तुम बेटी की हत्या करते हो अपने गंदे हाथों से तुम ,उसकी चुनर खींच लेते होइस बार माँ पर चुनर तब

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लक्ष्मी पूजन का मुहूर्तजैसा कि सभी जानते हैं किदीपावली बुराई, असत्य, अज्ञान, निराशा, निरुत्साह, क्रोध, घृणा तथा अन्य भी अनेक प्रकार केदुर्भावों रूपी अन्धकार पर सत्कर्म, सत्य, ज्ञान, आशा तथा अन्य अनेकों सद्भावों रूपी प्रकाश की विजय का पर्व हैऔर इस दीपमालिका के प्रमुख दीप हैं सत्कर्म,सत्य, ज्ञान, आशा,

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इस बार धनतेरस का त्‍योहार 5 नवंबर को मनाया जाएगा। धनतेरस हर साल दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है।धनतेरस के दिन खरीदी करना शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में की गई खरीदी सफलता और समृद्ध‍ि लेक‍र आती है और घर में मां लक्ष्‍मी का वास होता है।इस बार खरीदी के 3 सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त हैं...(1) सुबह 07:07

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