हमारे लेख के शीर्षक से सम्भव है आपको
लगे कि हम कन्या पूजन की विधि लिख रहे हैं | लेकिन उसकी आवश्यकता इसलिए नहीं है कि
सभी अपने अपने परिवार की परम्परा के अनुसार कन्याओं का पूजन करते हैं | हमारा इस
लेख को लिखने के का मन्तव्य कुछ और ही है |
कुछ आवश्यक कार्यों में व्यस्त होने
के कारण कल अपना व्हाट्सएप चेक नहीं कर पाए | आज देखा तो ज्ञात हुआ कल “Daughter’s
Day यानी बेटी दिवस” था | बहुतों ने “Daughter’s Day” के उपलक्ष्य में बड़े प्यारे प्यारे फोटो भी शेयर किये थे | निश्चित रूप से
जो लोग बेटियों को बोझ समझते हैं उन्हें बेटियों के महत्त्व को समझने के लिए इस
प्रकार के कार्यक्रमों की अत्यन्त आवश्यकता है | किन्तु प्रश्न है कि भारत जैसे देश
में तो सदा से नारी शक्ति का सम्मान करने की प्रथा रही है और यहाँ शारदीय और चैत्र
दोनों नवरात्रों – नारी शक्ति की उपासना का पर्व - का समापन ही “बेटी दिवस” यानी
कन्या पूजन के साथ ही होता है, फिर यहाँ क्यों कुछ स्थानों पर बेटियों के साथ इस
प्रकार का भेद भाव होता है ?
नवरात्रों के नौ दिन समर्पित होते हैं
माँ भगवती के नौ रूपों की उपासना के लिए और नौ रूपों के साथ शक्ति, ज्ञान और लक्ष्मी अर्थात शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा, ज्ञान विज्ञान की प्रतीक माता सरस्वती और समस्त प्रकार के धन सम्पत्ति
सुख सुविधाओं की प्रतीक देवी लक्ष्मी के आह्वाहन के लिए | और नवरात्रों का समापन
होता है कन्या पूजन के साथ | इन्हीं सब बातों से पता चलता है नारी शक्ति के प्रति
और विशेष रूप से कन्या सन्तान के प्रति कितना सम्मान हमारे देश में रहा है सदा से
ही | नारी – जिसके कारण सृष्टि का अस्तित्व है | शक्ति के
अपरिमित स्रोत अपने भीतर धारण किये हुए प्रकृति – जो पालन पोषण करती है समस्त
चराचर का और जिससे प्रेरणा लेता है समस्त मानव समुदाय | जो
माँ, बहन, बेटी के अनेकों रूपों में
ढलकर पुरुष को – परिवार को – समाज को - राष्ट्र को सबल बनाने का कार्य करती है | अस्तु, सर्वप्रथम सभी को अग्रिम रूप से शक्ति पर्व नवरात्रों
की हार्दिक शुभकामनाएँ...
वास्तव में बेटियाँ गौरव होती हैं
परिवार का... समाज का... देश का... अतः कन्या पूजन इस देश की जन भावनाओं के साथ
जुदा हुआ है... किन्तु क्या उन्हें केवल “देवी” बनाकर उनकी पूजा करके किसी कोने
में बैठा देना और सुरक्षा एक नाम पर उसे अनेक प्रकार के बन्धनों में जकड़ देना उचित
है ? नारी नाम की इस आधी आबादी को समाज में “देवी” का नहीं बल्कि बराबरी का स्थान
देने की आवश्यकता है – उन्हें समाज के दूसरे वर्ग के समान ही अभिव्यक्ति की –
कार्य की – आत्म सम्मान और स्वाभिमान की सुरक्षा की स्वतन्त्रता देने की आवश्यकता
है | यदि बेटियों के हौसलों को बुलन्दी तक पहुँचाने के लिए उनके पंखों में साहस, योग्यता और आत्मविश्वास की उड़ान भरी जाए तो बेटों से भी आगे बढ़ जाती हैं –
और वास्तविक अर्थों में यही होना चाहिए “कन्या पूजन” | क्योंकि नारी ऐसी “अबला”
नहीं है जो आँचल में दूध और आँखों में पानी लिए दुःख के समुद्र में डूबती बैठी रहे
| बल्कि समस्त सृष्टि का कारण और पोषक होने के कारण पूर्ण रूप से सशक्त है | और
जिस दिन समूची नारी शक्ति के हृदय से ये “अबलापन” का भय दूर हो गया और वह अपनी
सामर्थ्य को पहचानने लगी उसी दिन वास्तव में हमारा “कन्या पूजन” सार्थक कहलाएगा...
और इस दिशा में पहल भी नारी को स्वयं ही करनी होगी...
इन्हीं समस्त भावों के साथ कुछ समय
पूर्व कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं और अपने ब्लॉग पर पोस्ट भी की थीं, जो समर्पित हैं मेरी अपनी बिटिया सहित संसार की समस्त बेटियों को... सभी
माताओं की ओर से...
तू कभी न “अबला” हो सकती, तू कभी न दुर्बल हो सकती…
तू दुर्गा भी, तू वाणी भी, लक्ष्मी भी रूप है तेरा ही |
जन जन को शक्ति मिले तुझसे, तू कैसे दुर्बल हो सकती ?
तू पत्नी और प्रेमिका भी, तू माँ भी और तू ही बहना |
तू सीता भी, तू गीता भी, तू द्रोपदी कुन्ती गोपसुता ||
तुझमें जौहर की ज्वाला भी, तू लक्ष्मीबाई क्षत्राणी |
पर इन सबसे भी बढ़कर तू है बिटिया, जग से तू न्यारी ||
तू एक नन्ही सी गुड़िया, जो हो गई बड़ी कब पता नहीं |
नित नव रचना रचने वाली, तू कभी न दुर्बल हो सकती ||
तू दूर गगन तक हाथ उठाए, सबको है प्रेरित करती |
तितली से पंख लगा तू हर पल ऊँची ही
ऊँची उड़ती ||
तेरा आकाश असीमित है, जो दूर क्षितिज से मिलता है |
तू स्नेह प्रेम के तारों से ये जगत
प्रकाशित कर देती ||
सुख हो तो नृत्य दिखा देती, पर दुःख में भी गाती रहती |
अपनी मस्ती में खोई हर पल खुशियाँ
बरसाती रहती ||
तू भरे हुए विश्वास हृदय में, आगे ही बढ़ती जाती |
तू स्वयं शक्ति का रूप, भला तू कैसे दुर्बल हो सकती ?
इन्हीं भावों के साथ “कन्या पूजन” के
साथ सम्पन्न होने वाले नवरात्र पर्व की सभी को अभी से हार्दिक शुभकामनाएँ... माँ
भगवती हम सबके हर प्रयास में सफलता प्रदान करें...
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/09/23/kanya-pujan-in-navratri/