Aao ki koii khvaab bunen kal ke vaste - sahir ludhianvi आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्तेवरना ये रात आज के संगीन दौर कीडस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे कि जान-ओ- दिलता- उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकेंगो हम से भा
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों - साहिर लुधियानवीफिल्म - गुमराहचलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों न मैं तुम से कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी कीन तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अन्दाज़ नज़रों सेन मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों सेन ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से तुम्हें भी को