अपराध की घटनाएं अखबारों में पढ़कर व टीवी में देखकर निन्दी ही नहीं बल्कि उसके परिवार का हर सदस्य डर जाता था। निन्दी झुग्गी बस्तियों की तरह तंग जिंदगी जीते हुए हर दिन नरक सा अनुभव करती थी। टॉयलेट जाते समय कभी बस्ती के युवक उसको अपशब्द कहते तो कभी स्कूल जाते समय मनचले उस पर फब्तियां कसते। निन्दी मन मसोस कर रह जाती। दसवीं की पढ़ाई के दौरान जब सब्र टूट गया तो उसने आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट सीखना शुरू किया, जिसके बाद उसने बस्ती की युवतियों को सक्षम बनाने को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया। 19 वर्षीय निन्दी ने बताया कि वह परिवार के साथ जहांगीरपुरी एमआइजी ब्लॉक में रहती है। झुग्गी बस्ती का जीवन जीते हुए कई बार उसने अपने आप को असहाय पाया। टॉयलेट जाने से लेकर स्कूल व बाजार जाते हुए उससे कई बार छेड़छाड़ की गई। गुस्सा आता था कि ऐसे लड़कों को सबके सामने थप्पड़ रसीद कर दें, पर अपराध और लोकलाज का भय सामने आकर खड़ा हो जाता। इसी बीच वह एक स्वयंसेवी संस्था के संपर्क में आई। निन्दी ने बताया कि पहले उसने खुद मार्शल आर्ट सीखा। स्कूल स्तर पर मार्शल आर्ट की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इसके पीछे मकसद, झुग्गी बस्ती में रहने वालों की संकीर्ण मानसिकता को बदलना था। वह कहती है कि पहले लोग मुझे चिढ़ाते थे कि देखो हाफ पैंट पहनकर जा रही है, लड़कियों को बर्बाद कर देगी, लेकिन मुझे स्कूलों में पुरस्कार मिले तो लोगों का नजरिया भी बदला। कई ऐसे अभिभावक भी आए जिन्होंने खुद उनकी बेटियों को मार्शल आर्ट सिखाने की गुजारिश की। 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली निन्दी अब तक 200 से ज्यादा युवतियों को मार्शल आर्ट सिखा चुकी है। उसने खुद भी अनेक प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और विजेता बनी है। वह अब तक चार गोल्ड, एक कांस्य और एक सिल्वर मेडल के साथ ही कई प्रमाण पत्र भी हासिल कर चुकी है।
संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली।
(दैनिक जागरण)