1 अक्टूबर 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
विजय जी, आपका विचार रचनात्मक एवं विचारणीय है । धन्यवाद !
3 अक्टूबर 2015
शर्मा जी सांझा किए गए विचार अमूल्य हैं किंतु संस्थाएं चलाने वाले तो नोबेल तक जीत रहें हैं किंतु न तो बाल मजदूरी रुकी और विकास के नाम पर श्रमिकों की दशा बद से बदतर होती जा रही है। कितना अच्छा हो कि बाल मजदूरी के विरुद्ध जोर लगाने वाले ऐसे प्रबुद्ध नागरिक तैयार करें जो बाल मजदूर भी रखें और उनके बचपन एवं शिक्षा का भी ध्यान रखें
2 अक्टूबर 2015
धन्यवाद वर्तिका जी !
1 अक्टूबर 2015