shabd-logo

प्रेरक है भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन

2 अप्रैल 2016

955 बार देखा गया 955
featured image

बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह गणित के असंख्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और देश का गौरव हैं। उन्होंने बिहार में ही रहकर मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह बचपन से ही पढाई में बहुत तेज़ थे। कहा जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह अपने अध्यापकों को भी गलती पर टोक देते थे। कई बार क्लासरूम में ऐसे कठिन सवाल करते कि अध्यापक भी झेप जाते। थककर अध्यापक ने इनकी शिकायत प्राचार्य से कर दी। प्राचार्य ने उन्हें गणित के कई कठिन प्रश्न दिए। आश्चर्य कि उन्होंने एक ही सवाल को कई तरीके से हल करके दिखा दिया।


पटना साइंस कॉलेज में पढते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर जॉन एल कैली से हुई। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रोफेसर कैली ने उन्हे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय आकर शोध करने को आमंत्रित किया । इस प्रकार 1963 में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए गए।


1969 में उन्होने कैलीफोर्निया विश्वविघालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किये गए उनके शोध कार्य ने उन्हे भारत ही नहीं अपितु विश्व मे प्रसिद्ध कर दिया। अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ समय के लिए वे भारत आए, मगर जल्द ही फिर अमेरिका वापस चले गए।


उन्होंने वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। 1971 में वह भारत वापस लौट आए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान कलकत्ता में भी कार्य किया। सन 2014 में उन्होंने भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी में गेस्ट फ़ैकल्टी के रूप में भी अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।


कहा जाता है कि नासा में कार्य के दौरान एक बार बिजली चली गयी। उन्होंने कंप्यूटर के बिना ही गणना कर दी। बिजली आने पर जब कंप्यूटर से गणना का मिलान किया गया तो वह बिल्कुल ठीक थी।


1973 में उनका विवाह वंदना रानी से हुआ। दुर्भाग्यवश डॉ. वशिष्ठ को 1974 में मानसिक दौरे आने लगे। रांची में उनका इलाज हुआ। एक लम्बे समय तक उनका कोई पता नहीं चला।1992 में वह सिवान में मिले, तब से उनका इलाज चल रहा है।



रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

एक महान भारतीय प्रतिभा जो समय के भंवर में फंस गयी . ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें सुकून प्राप्त हो.

20 नवम्बर 2016

20
रचनाएँ
lifesketch
0.0
इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जाने-माने व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी की झलक पा सकते हैं ।
1

बाल-श्रमिकों का मसीहा

1 अक्टूबर 2015
0
6
4

‘अपने लिए जिए तो क्या जिए...ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए’...कितने ही लोगों ने सुना होगा ये गीत और आगे बढ़ गए होंगे जबकि कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी हुए जिनके लिए ये गीत प्रेरणा बन गया और उन्होंने इसे अपने जीवन में उतार दिया । ऐसा ही एक नाम है ‘कैलाश सत्यार्थी’ । भारत के मध्य प्रदेश (विदिशा) में 11 जनवरी 1954 क

2

शिल्प-जगत का आकाश-दर्पण

1 अक्टूबर 2015
0
6
2

कला और कलाकार किसी एक देश के नहीं होते बल्कि सम्पूर्ण विश्व के होते हैं । कला, देश की सीमाओं के बन्धन में नहीं बंधती । कलाकार नील गगन में उन्मुक्त उड़ान भरते विहगों के सदृश होते हैं उनके लिए पूरी धरती और आकाश एक होते हैं ।मशहूर बुत-तराश अनीश कपूर ने वर्ष 2006 में अपनी एक कृति, एक विशाल आकाश दर्पण के

3

नन्हीं 'पाखी' की उड़ान...

5 अक्टूबर 2015
0
4
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

4

माटी का चितेरा

6 अक्टूबर 2015
0
5
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

5

सारी बस्ती क़दमों में है...

4 नवम्बर 2015
0
6
9

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

6

महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र राय

5 नवम्बर 2015
0
7
4

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

7

बच्चों तुम तक़दीर हो...

14 नवम्बर 2015
0
6
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

8

लक्ष्य

17 नवम्बर 2015
0
4
3

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

9

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

18 नवम्बर 2015
0
17
7

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

10

कामयाबी के साथ, दुर्गा रघुनाथ

21 नवम्बर 2015
0
6
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

11

मानवता की अनूठी मिसाल : रोटी बैंक

31 दिसम्बर 2015
0
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

12

दृष्टिहीनों का दीपक- लुई ब्रेल

4 जनवरी 2016
0
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

13

गणतंत्र दिवस, समर्पण का दिन

25 जनवरी 2016
0
0
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

14

जब तान छिड़ी मैं बोल उठा : हरिशंकर परसाई

28 जनवरी 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

15

हौसलों से उड़ान होती है...

1 फरवरी 2016
0
2
2

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

16

ज्योति कलश छलके

11 फरवरी 2016
0
4
2

'ज्योति कलश छलके', 'सत्यम शिवम सुंदरम' और 'तुम आशा विश्वास हमारे' जैसे अनेक कालजयी गीतों के रचनाकार, साहित्य और गीतलेखन के गुरु द्रोणाचार्य और विविध भारती के पितामह, भले ही पार्थिव शरीर त्यागकर वृजन् में विलीन हो गए हों, लेकिन हमारी यादों से कभी विलग नहीं होंगे। २८ फरवरी १९१३ को उत्तर प्रदेश के खुर्

17

प्रेरक है भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन

2 अप्रैल 2016
0
5
2

बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह गणित के असंख्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और देश का गौरव हैं। उन्होंने बिहार में ही रहकर मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह बचपन से ही पढाई में बहुत तेज़ थे। कहा जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के द

18

ख़ुद सक्षम बन दूसरों को सिखा रही मुक़ाबला करना

9 अप्रैल 2016
0
5
0

अपराध की घटनाएं अखबारों में पढ़कर व टीवी में देखकर निन्दी ही नहीं बल्कि उसके परिवार का हर सदस्य डर जाता था। निन्दी झुग्गी बस्तियों की तरह तंग जिंदगी जीते हुए हर दिन नरक सा अनुभव करती थी। टॉयलेट जाते समय कभी बस्ती के युवक उसको अपशब्द कहते तो कभी स्कूल जाते समय मनचले उस पर फब्तियां कसते। निन्दी मन मसो

19

थोड़ी सीख पटना के भाई गुरमीत सिंह से...

12 अप्रैल 2016
0
7
0

पटना के सरदार गुरमीत सिंह मौजूदा कपड़ों की अपनी पुश्तैनी दुकान संभालते हैं।लेकिन रात होते ही वे 90 साल पुराने और 1760 बेड वाले सरकारी पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मरीज़ों के लिए मसीहा बन जाते हैं। बीते 20 साल से गुरमीत सिंह हर रात लावारिस मरीज़ों को देखने के लिए पहुंचते हैं। वे उनके लिए भोजन और

20

छिपा हुआ सत्य

26 अप्रैल 2016
0
1
0

कितना अद्भुत, कितना सत्य !यह घटना भूमध्यसागर के सिसली द्वीप की है। अपराह्न के समय, सड़क पर अपने काम-धंधों में व्यस्त लोगों तथा व्यापारियों का जमघट लगा था। अचानक एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी, 'मिल गया, मिल गया।' एक नंगा आदमी सड़क के बीचो-बीच दौ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए