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कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

18 नवम्बर 2015

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व्यक्ति बहुत हद तक वैसा ही बनता जाता है, जैसा जो कुछ वो सोचता है, विचार करता है I कोई किस गली-मोहल्ले में जन्म लेता है, कितने साधारण स्कूल में पढ़ाई करता है, रहने के लिए छोटा सा घर, साधारण रहन-सहन जैसी तमाम बातें बुलन्द हौसलों के आगे बहुत अदनी सी हो जाती हैं I

कानपुर के रावतपुर गाँव में रहने वाले अनुराग विश्वकर्मा अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं I पिता श्री राम बसंत जी प्राइवेट नौकरी में और माँ गृहणी हैं I शहर के ही एक कॉलेज से इन्टरमीडिएट पास करने के बाद दिमाग़ में बड़ी ऊहापोह थी कि अब इससे आगे क्या किया जाए?

बीटेक करने के लिए अच्छी तैयारी और अच्छे पैसे दोनों की ज़रुरत होती है I गणित में थोड़े कच्चे थे इसलिए बीएससी में दाख़िले की हिम्मत नहीं हुई और बीए करना नहीं चाहते थे I

अब, न तो बीएससी और न ही बीए, तो फिर बीच में बीकॉम ही बचा...एडमिशन ले लिया साहब I इन्टर तक साइंस के विद्यार्थी रहे, एकाउंट्स वगैरह क्या जानें, सो जैसे-तैसे फर्स्ट-इयर बस पास हो गए I इस तरह ये पटाख़ा भी मन में किरकिरी ही छोड़ गया I चारो तरफ जैसे अँधेरा ही अँधेरा था I मन कह रहा था कि इससे अच्छा तो फ़ेल ही हो जाता I

कहते हैं कि आदमी का हौसला न टूटे, गहन निराशा में भी आशा की किरण ज़रूर दिखाई देती है I अनुराग के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ I असफलताएं तो बहुत हो चुकी थीं, और इनके चलते अब तक खयाली पुलाव पकाने के भी उस्ताद हो चुके थे I अबकी दिल में लहर उठी कि बीबीए किया जाए I कैसे किया जाए, और कहाँ से...बस इतना ही सवाल था I पता लगाना शुरू किया I किसी तरह मथुरा स्थित जी.एल.ए. यूनिवर्सिटी पंहुचे जहाँ उनकी मुलाक़ात वहां के आई.ए.एच. विभाग के निदेशक महोदय से हुई I उनके मार्गदर्शन पर ये तय हुआ कि बीबीए ही किया जाए I

अब सवाल ये था कि अभी तक पूरी पढ़ाई हिन्दी मीडियम से की थी, बीबीए के लिए इंग्लिश मीडियम ज़रूरी था I ऐसी दुविधा के समय पिताजी ने हौसला बढ़ाया और कहा, “अनुराग, तुम ये कर सकते हो और तुम्हीं करोगे I” पिताजी के ये शब्द अनुराग के लिए संजीवनी हो गए I अब उन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना था I ये सोच लिया था कि इतिहास वही रचते हैं जो पीछे मुड़कर नहीं देखते I

सफ़र एक बार फिर शुरू हुआ I रात-दिन की कड़ी मेहनत रंग लाई और अनुराग को वर्ष 2013 में बीबीए ऑनर्स का सम्मान प्राप्त हुआ I पढ़ाई के साथ-साथ जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर, स्पोर्ट्स और अतिरिक्त क्रियाकलापों में भी भाग लेते रहे I बचपन से शतरंज खेलने का शौक़ था I इस तरह यूनिवर्सिटी में आयोजित प्रतियोगिताओं में भी भाग लेने लगे और कई पुरस्कार जीते I वर्ष 2012 में जीएलए यूनिवर्सिटी चेस क्लब के सचिव चुने गए I

पढ़ाई के साथ-साथ खेल-प्रतियोगिताओं में भी बेहतर मुकाम बनाते हुए, अनुराग अब तक एमबीए में दाख़िला ले चुके थे I अक्टूबर 2014 में प्लेसमेंट के लिए आई, एक बड़ी फाइनेंस कम्पनी ने अनुराग को सेवा का अवसर प्रदान किया और आज वह एरिया-हेड के रूप में जबलपुर स्थित ऑफिस में कार्यरत हैं I

अनुराग का मानना है कि समाज में रहते हुए इसी समाज के लिए कुछ न कर सकें, तो शिक्षा और तमाम पुरस्कारों के कोई मायने नहीं रहे I इसी विचार से प्रेरित वह ज़रूरतमंद लोगों की हर संभव मदद करना अपना कर्तव्य समझते हैं I आज वह विभिन्न सेवा-संस्थानों और धर्मार्थ अस्पतालों से सेवार्थ जुड़े हैं I वह दृढसंकल्प हैं कि इसी तरह हमेशा विभिन्न सेवा-संस्थानों के माध्यम से लोगों की मदद करते रहेंगे I

Anurag Vishwakarma

Anurag Vishwakarma

आप सभी को अनेक धन्यवाद मित्रों. :-)

10 दिसम्बर 2015

महावीर रावत

महावीर रावत

बधाई हो अनुराग जी को,kosis karne walo ki kabhi har nahi hoti.

4 दिसम्बर 2015

Rhoti Yadav

Rhoti Yadav

Anurag Sir - Apka lekh pasand aaya, esase mujhe prerna milegi.

4 दिसम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

दिल में कुछ करने का जज़्बा हो तो इंसान को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता!

28 नवम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

अनुराग जी को आपका सन्देश प्राप्त हो गया है, अनेक धन्यवाद आशीष जी !

20 नवम्बर 2015

Anurag Vishwakarma

Anurag Vishwakarma

अनेक धन्यवाद ओम सर :-)

20 नवम्बर 2015

आशीष श्रीवास्‍तव

आशीष श्रीवास्‍तव

बधाई हो अनुराग जी को... नित नयी ऊंचाइयों को छुए ।.. ओम जी सन्देश पहुंचा दीजिये

18 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
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इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जाने-माने व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी की झलक पा सकते हैं ।
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