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गणतंत्र दिवस, समर्पण का दिन

25 जनवरी 2016

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डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद, स्‍वतंत्र भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति ने भारतीय गणतंत्र के जन्‍म के अवसर पर देश के नागरिकों से अपने विशेष संदेश में कहा:

"
हमें स्‍वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्‍ट्र पिता और स्‍वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्‍त और प्रसन्‍नचित्त समाज की स्‍थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इसे दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्‍द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है - श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्‍वतंत्र, प्रसन्‍न और सांस्‍कृतिक बनाने के भव्‍य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है I"

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रचनाएँ
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इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जाने-माने व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी की झलक पा सकते हैं ।
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बाल-श्रमिकों का मसीहा

1 अक्टूबर 2015
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‘अपने लिए जिए तो क्या जिए...ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए’...कितने ही लोगों ने सुना होगा ये गीत और आगे बढ़ गए होंगे जबकि कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी हुए जिनके लिए ये गीत प्रेरणा बन गया और उन्होंने इसे अपने जीवन में उतार दिया । ऐसा ही एक नाम है ‘कैलाश सत्यार्थी’ । भारत के मध्य प्रदेश (विदिशा) में 11 जनवरी 1954 क

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शिल्प-जगत का आकाश-दर्पण

1 अक्टूबर 2015
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कला और कलाकार किसी एक देश के नहीं होते बल्कि सम्पूर्ण विश्व के होते हैं । कला, देश की सीमाओं के बन्धन में नहीं बंधती । कलाकार नील गगन में उन्मुक्त उड़ान भरते विहगों के सदृश होते हैं उनके लिए पूरी धरती और आकाश एक होते हैं ।मशहूर बुत-तराश अनीश कपूर ने वर्ष 2006 में अपनी एक कृति, एक विशाल आकाश दर्पण के

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नन्हीं 'पाखी' की उड़ान...

5 अक्टूबर 2015
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माटी का चितेरा

6 अक्टूबर 2015
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सारी बस्ती क़दमों में है...

4 नवम्बर 2015
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महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र राय

5 नवम्बर 2015
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बच्चों तुम तक़दीर हो...

14 नवम्बर 2015
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लक्ष्य

17 नवम्बर 2015
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कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

18 नवम्बर 2015
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कामयाबी के साथ, दुर्गा रघुनाथ

21 नवम्बर 2015
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मानवता की अनूठी मिसाल : रोटी बैंक

31 दिसम्बर 2015
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दृष्टिहीनों का दीपक- लुई ब्रेल

4 जनवरी 2016
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गणतंत्र दिवस, समर्पण का दिन

25 जनवरी 2016
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जब तान छिड़ी मैं बोल उठा : हरिशंकर परसाई

28 जनवरी 2016
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हौसलों से उड़ान होती है...

1 फरवरी 2016
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ज्योति कलश छलके

11 फरवरी 2016
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'ज्योति कलश छलके', 'सत्यम शिवम सुंदरम' और 'तुम आशा विश्वास हमारे' जैसे अनेक कालजयी गीतों के रचनाकार, साहित्य और गीतलेखन के गुरु द्रोणाचार्य और विविध भारती के पितामह, भले ही पार्थिव शरीर त्यागकर वृजन् में विलीन हो गए हों, लेकिन हमारी यादों से कभी विलग नहीं होंगे। २८ फरवरी १९१३ को उत्तर प्रदेश के खुर्

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प्रेरक है भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन

2 अप्रैल 2016
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बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह गणित के असंख्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और देश का गौरव हैं। उन्होंने बिहार में ही रहकर मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह बचपन से ही पढाई में बहुत तेज़ थे। कहा जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के द

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ख़ुद सक्षम बन दूसरों को सिखा रही मुक़ाबला करना

9 अप्रैल 2016
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अपराध की घटनाएं अखबारों में पढ़कर व टीवी में देखकर निन्दी ही नहीं बल्कि उसके परिवार का हर सदस्य डर जाता था। निन्दी झुग्गी बस्तियों की तरह तंग जिंदगी जीते हुए हर दिन नरक सा अनुभव करती थी। टॉयलेट जाते समय कभी बस्ती के युवक उसको अपशब्द कहते तो कभी स्कूल जाते समय मनचले उस पर फब्तियां कसते। निन्दी मन मसो

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थोड़ी सीख पटना के भाई गुरमीत सिंह से...

12 अप्रैल 2016
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पटना के सरदार गुरमीत सिंह मौजूदा कपड़ों की अपनी पुश्तैनी दुकान संभालते हैं।लेकिन रात होते ही वे 90 साल पुराने और 1760 बेड वाले सरकारी पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मरीज़ों के लिए मसीहा बन जाते हैं। बीते 20 साल से गुरमीत सिंह हर रात लावारिस मरीज़ों को देखने के लिए पहुंचते हैं। वे उनके लिए भोजन और

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छिपा हुआ सत्य

26 अप्रैल 2016
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कितना अद्भुत, कितना सत्य !यह घटना भूमध्यसागर के सिसली द्वीप की है। अपराह्न के समय, सड़क पर अपने काम-धंधों में व्यस्त लोगों तथा व्यापारियों का जमघट लगा था। अचानक एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी, 'मिल गया, मिल गया।' एक नंगा आदमी सड़क के बीचो-बीच दौ

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