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मानवता की अनूठी मिसाल : रोटी बैंक

31 दिसम्बर 2015

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देश-दुनिया के तमाम मुद्दों से ऊपर उठकर समाज के लिए कुछ अच्छा करने की इच्छा रखने वाले लोग एक छोटी सी पहल करके दुनिया के सामने एक मिसाल पेश कर सकते हैं I

 

अब तक तो खबर आम हो चुकी है कि बुदेंलखंड के महोबा जिले के चंद जुझारू लोग भूखे लोगों तक भोजन पहुंचाने की एक अनोखी मुहिम चला रहे हैं I इसका उद्देश्य उन बेसहारा लोगों तक भोजन पहुँचाना है जिन्हें दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती I हर आयु वर्ग के मुट्ठीभर  मेहनतकश लोगों द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम का नाम है 'रोटी बैंक', जिसमें रोज गरीबों को घर का बना खाना खिलाया जाता है I

अस्पतालों के बाहर मरीजों के तीमारदार हों, भिक्षुक, अत्यंत ग़रीब, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले या रेलवे स्टेशन पर पड़े बेसहारा लोग हों, ‘रोटी बैंक’ किसी को भूखा नहीं सोने देता I ये संगठन बाक़ायदा भोजन की जांच करता है, रोटियों को अख़बार के टुकड़ों में लपेटता है और ज़रुरतमंदों तक पहुंचाता है I  

औरों की खातिर जीने का जज़्बा लिए इन सेवकों को कोई तनख्वाह नहीं मिलती I इन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती I सहारे के नाम पर भी इनके इर्द-गिर्द वही लोग हैं जो स्वयं समर्थ और समृद्ध नहीं हैं I सिर्फ एक जज़्बा है, जूनून है अपने समाज के लिए कुछ अच्छा करने का जो इन्हें अच्छाई की राह पर आगे बढ़ने की शक्ति देता है I लेकिन दुनिया के लड़ाई-झगड़ों से अलग ये सिर्फ कार्य करना जानते हैं I हो सकता है ये लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे न हों ; हो सकता है ये देश-दुनिया में चल रहे तमाम ज्वलंत मुद्दों से भी बेखबर हों लेकिन जाति-धर्म-संप्रदाय और ऊँच-नीच की दीवारों से परे ऐसे लोग उन तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं I



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