'ज्योति कलश छलके', 'सत्यम शिवम सुंदरम' और 'तुम आशा विश्वास हमारे' जैसे अनेक कालजयी गीतों के रचनाकार, साहित्य और गीतलेखन के गुरु द्रोणाचार्य और विविध भारती के पितामह, भले ही पार्थिव शरीर त्यागकर वृजन् में विलीन हो गए हों, लेकिन हमारी यादों से कभी विलग नहीं होंगे।
२८ फरवरी १९१३ को उत्तर प्रदेश के खुर्जा ज़िले के जहांगीरपुर नामक गाँव में जन्मे पण्डित नरेन्द्र शर्मा, मात्र चार बरस के थे जब उनके हाथों से पिता की उंगली छूट गयी। बचपन से ही कविताएँ उनकी संगी-साथी बनीं और शिक्षा पूरी कर, कवि के रूप में उन्हें ख्याति मिलने लगी।
पंडित नरेन्द्र शर्मा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र और अंग्रेज़ी मे एम.ए. किया। अल्पायु से ही साहित्यिक रचनायें करते हुए पंडित नरेन्द्र शर्मा ने 21 वर्ष की आयु में पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा प्रयाग में स्थापित साप्ताहिक "अभ्युदय" से अपनी सम्पादकीय यात्रा आरम्भ की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी स्वराज्य भवन में हिन्दी अधिकारी रहे और १९४३ में, भगवती चरण वर्मा के साथ वे बम्बई आकर फिल्म जगत से जुड़ गए। उन्होंने पहली बार बॉम्बे टॉकीज़ की फिल्म ,"हमारी बात" में गीत लिखे जिनके संगीतकार थे "अनिल बिस्वास" और अभिनेत्री थीं "देविका रानी" !
पंडित नरेन्द्र शर्मा के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि एक कल्पनाकार के रूप में उस समय हुई, जब 3 अक्टूबर 1957 प्रातः 10.30 बजे सुगम संगीत द्वारा मनोरंजन के क्षेत्र में राष्ट्र ने स्व-तंत्र की घोषणा की। 'विविध भारती' के नामकरण के साथ-साथ, इसके अन्य कार्यक्रमों जैसे 'हवामहल', 'मधुमालती' 'जयमाला', 'बेला के फूल', 'चौबारा', 'पत्रावली', 'रसवंती', 'मधुबन', 'रसरंग', 'वंदनवार', 'मंजूषा', 'स्वर संगम', 'रत्नाकार', 'छायागीत', 'चित्रशाला', 'अपना घर' आदि का नामकरण भी नरेन्द्र शर्मा ने ही किया।"
विविध भारती के नामकरण की बात हो या दूरदर्शन श्रृंखला 'महाभारत' की परिकल्पना और दिग्दर्शन की, पण्डित जी का परश आज भी किसी न किसी रूप में हमारे साथ है। आज उनके प्रयाण दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि!