(बाल दिवस पर विशेष)
“बच्चो तुम तकदीर हो कल के हिन्दोस्तान की, बापू के वरदान की, नेहरु के अरमान की...I” देश- दुनिया के कितने ही महापुरुषों ने बच्चों को स्वर्णिम भविष्य के रूप में देखा I खिलती कलियों से मुस्कराते, विहगों से चहचहाते और निर्झर सरिता से थिरकते बच्चे ही, हमारी आशाओं के केंद्र-बिंदु हैं I जीवन में जो कुछ हम स्वयं नहीं कर पाते, वो इन नौनिहालों के हाथों रचने की अपेक्षाएं करते हैं I बच्चों के प्रति चाचा नेहरु के प्यार के कितने ही किस्से हमें प्रेरणा देते हैं I
एक रोज़ तीन मूर्ति भवन के बाग़ीचे में लगे पेड़-पौधों के बीच से गुजरते हुए घुमावदार रास्ते पर नेहरू जी टहल रहे थे I उनका ध्यान पौधों पर था, तभी पौधों के बीच से उन्हें एक बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई दी I नेहरूजी ने आसपास देखा तो उन्हें पेड़ों के बीच एक छोटा सा बच्चा दिखाई दिया जो रो रहा था I
उन्होंने सोचा, कोई तो इस बच्चे के साथ होगा I शायद उसकी माँ बाग़ीचे में ही कहीं माली के साथ काम कर रही होगी I नेहरूजी यह सोच ही रहे थे कि बच्चा ज़ोरों से रोने लगा I
नेहरु जी बच्चे को गोद में उठाकर खिलाने लगे और वह तब तक उसके साथ रहे जब तक उसकी माँ वहां नहीं आ गई I बच्चे को देश के प्रधानमंत्री की गोद में देखकर उसकी मां हतप्रभ हो गई I बच्चों के प्रति ऐसा था चाचा नेहरु का असीम प्रेम !
चाचा नेहरु के जन्म दिवस के अवसर पर बाल दिवस की शुभकामनाएँ !