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सामाजिक

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"सकारात्मक सोच और भगवान पर अटल  विश्वास संजीवनी बूटी का कार्य करते हैं।"  {301}    "नकारात्मकता मन और मस्तिष्क  को खोखला करके रोगी बना देती है।"   {302} 

"मन बहुत चंचल है... अपने को खुश रखने के लिए,  स्वयं कुछ न कुछ उपाय ढूंढ ही लेता है।"  {299}    "राग और द्वेष से दूषित मन  वालों के लिए सज्जन और दुर्जन  दोनों एक समान हो जाते हैं।"  {300} 

"यदि प्रतीक्षा सीमा से अधिक हो जाए  तो मिलने का मोह धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।"  {297}    "प्रत्येक कार्य की एक निश्चित सीमा होती है। सीमा से बाहर होने पर आनंद कम होने लगता है।"  {298} 

"यदि उचित समय पर नहीं लिया जाए,  तो सही निर्णय भी गलत हो सकता है।"   {285}    "सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए कठिन परिश्रम  और विनम्रता की आवश्यकता होती है।"  {286} 

"चुनौतियों को स्वीकार करो,  क्योंकि इससे या तो सफलता मिलेगी या शिक्षा।" { 281}    "दुनिया में सबसे शक्तिशाली मनुष्य की वाणी है,  जो हथियार उठाए बिना ही क्रांति कर सकती है,  और जहां विद्रोह हो वहा

"ईश्वर की भक्ति विश्वास है,  तर्क और संदेह से केवल बेचैनी और भगवान से दूरियाँ बढ़ जाती हैं।"  {279}    "सम्पत्ति, प्रतिष्ठा, उपलब्धि, पद और सम्मान... अगर आप ख़ुश नहीं हैं,  तो इनमें से कुछ भी मा

"पंछी अपने पैरों के कारण जाल में फंसते हैं... परंतु मनुष्य अपनी जबान के कारण।"  {277}    "पवित्र हृदय और हँसता हुआ चेहरा  यही जीवन की सच्ची संपत्ति है।"  {278} 

"लगन वह डोर है जो लक्ष्य की ओर खींच कर आपसे वो करवा लेती है... जिसे करना सबके बस में नहीं होता।"  {276}    "मित्र एक अवसर नहीं होता बल्कि सच्चा मित्र   एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का नाम है।"  {277} 

"जीवन रूपी किताब के हर पन्ने को ठीक तरह से बांध के रखने के लिए... धैर्य रूपी रस्सी की परम आवश्यकता होती है।"  {273} "मन को इतना मजबूत बनाएं कि किसी के भी व्यवहार से मन की शांति भंग ना होने पाए।"

"कुछ समय रहते हैं हम माँ के भीतर... फिर ताउम्र मां रहती है हमारे भीतर।  {271} "प्रयास करने वाला इंसान एक दो बार गिरता है, लेकिन प्रयास ना करने वाले लोग जीवन भर"  {272}

"विजयी होने से पहले विजय... और पराजित होने से पहले पराजय... कभी नहीं मानना चाहिए क्योंकि दोनों घातक हैं।"   {269}    "रिश्तें कांच की तरह बड़े नाजुक होते हैं। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि कांच

रिश्ते अंकुरित होते हैं प्रेम से... जिंदा रहते हैं संवाद से... महसूस होते हैं भावनाओं से.. जिए जाते हैं पवित्र हृदय से... मुरझा कर बिखर जाते हैं... जरा सी नोक-झोंक और अहंकार से। {263}    शांत च

"किसी को उजाड़कर बसना, बसना नहीं होता। किसी को रुलाकर हंसना, हंसना नहीं होता।"   {260}

"ज्ञानी कभी अभिमानी नहीं हो सकता और अभिमानी कभी ज्ञानी नहीं हो सकता क्योंकि ज्ञान अभिमान को लुप्त कर देता है।"   {257}  "व्यक्ति कोई बुरा नहीं होता, समय और परिस्थितियों के चक्रव्यूह में  फंसकर

"अगर जीवन को सरल बनाना है तो प्रभु श्री राम से शिकायत कम और धन्यवाद ज्यादा कीजिए।"  {249} "लक्ष्य से लौटने वाले को आधा रास्ता तो पार करना ही है चाहे उल्टा करें या सीधा करें तो भलाई इसी में है

"दुनिया में एक चीज सबको बराबर मिलती है, और वो है वक्त।"   {237} "कभी-कभी अंतर्मन की छत पर पड़े हुए कूड़े करकट को बुहारना जरूरी है।"   {238} "बात-बात में बात बिगड़ कर विवाद उत्पन्न करती है।"

"ज्ञानार्जन की प्रक्रिया मृत्यु पर्यंत चलती रहनी चाहिए।"   {234} "प्रिय वचनों से पशु भी वश में हो जाता है.. तुम तो इंसान हो।"   {235} "अहंकार और संस्कार में बहुत बड़ा अंतर है। अहंकार दूसरों क

"क्रोध एक ऐसा शस्त्र है  जो जिसके पास होता है  उसी पर वार करता है।"   {231}    "वक्त घाव नहीं भरता बल्कि  घाव के साथ जीना सिखा देता है।"  { 232}    "जिन्हें पता है कि विपत्ति संघर्ष  और दुख का

"मौके के इंतजार के लिए समय को व्यर्थ मत करो।  हरेक पल कीमती है।"   {225}    "दिखावे से ऊपर उठकर  जीना ही सच्चा जीवन है।"   {226}    "सुसंस्कृत लोग ना किसी से डरते हैं और ना किसी को डराते हैं।"

"बनना है तो मेहंदी के पत्तों सा बनो  जोकि सूख कर भी रंग देना नहीं भूलते।"   {222}  "समंदर जैसे हृदय में नदियों जैसे  लोग स्वयं प्रवेश करने लगते हैं।"   {223}    "मनुष्य जीवन विचार रूपी बीच से प

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