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सामाजिक

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आपने पिछले भाग में देखा कि। शिल्पा दरवाजे पर बैठ नितिन के वापस आने का इंतजार करति है। नितिन के वापस आने का इंतजार करते हुए, शिल्पा कि दरवाजे पर ही आँख लग जाती है, सुभा ५ बजे शिल्पा कि जब आँख खुलती है,

आपने पिछले भाग में देखा कि। शिल्पा के बार बार बच्चे के बारे में बात करने के बाद से नितिन शिल्पा से दूरियां बड़ाने लगा था। शिल्पा नितिन से नजदीकियां बड़ाने के लिए कोमल कि दि हुई तरकीब के मुताबिक नितिन

सबसे अधिक विनाशकारी होती है सोच  जो इंसान, परिवार,  समाज, देश, धरती को विनाश के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देती है  रानी कैकयी की सोच भी कुछ ऐसी ही थी  उसने अयोध्या का सब कुछ दांव पर ल

रचना आज जैसे ही घर से निकली एक अजीब  वाक्या हुआ, वो यह कि, जैसे ही उसने, घर की चौखट से पाॅव बाहर रखा उसको लगा  कि किसी ने उसे धकेला है ,उसने आगे पीछे देखा वहा कोई  न था। यह कही वहम तो न

"संदेसे आते है ।हमे तड़पाते है ।कि घर कब आओ गे।लिखों कब आओ गे ।के तुम बिन ये घर सूना सूना है।छावनी मे ये गाना बड़ी जोर से बज रहा था ।नमन शीशे के आगे खड़ा शेव कर रहा था ।उसका दोस्त पंकज बैड पर लेटा था

कुछ लोग करते हैं नफरत वाला प्यार  अजीबोगरीब सा होता है इनका संसार  माशूका पर कोई कभी तेजाब फेंक देता है  तो कोई प्यार के नाम पे गला रेत देता है  कोई चाकुओं से गोदकर आनंदित होता है

एक वैंपायर थी जो बड़ी हसीन थी  बड़ी खूबसूरत बड़ी दिलनशीन थी  ना जाने कितनों का खून पी चुकी ना जाने कितनों की जान ले चुकी  उससे सब लोग खौफ खाया करते  उसके डेरे से बचकर जाया करते&nbs

सखि, आज तो गजब हो गया । तुम तो जानती ही हो कि आजकल मेरी पोस्टिंग अजमेर चल रही है । इसलिए मैं हर सोमवार को जयपुर से सुबह आठ बजे निकल पड़ता हूं और हर शुक्रवार को शाम तक जयपुर वापस आ जाता हूं । आज भ

पथ में पत्थर बहुत मिलेंगे  विघ्न रास्ता हर पल रोकेंगे  पत्थरों से बचकर चलना है  इन्हीं पत्थरों से पुल बनाना है  यहां सब रोड़े अटकाने बैठे हैं  पराया माल सटकाने बैठे हैं 

बेशक ! पापा की प्यारी परी होती हैं बेटियां ...उनकी राजकुमारी होती है बेटियां ...माँ की भी राजदुलारी होती हैं बेटियां ...हाँ ! अपने पापा की प्यारी परी होती है बेटियां ...आज हर कोई पापा की परी हैं ये कह

जिसका जितना बड़ा कल्पना लोक  वह उतना ही बड़ा साहित्यकार है  कल्पना लोक के परिदृश्यों को वह कागज पर उतारने वाला चित्रकार है  गीत, गजल, मुक्तक, दोहे, छंद, कविता  कथा, लेख, संस्मरण या

सबको बस अपने अधिकारों की पड़ी है  जिम्मेदारी गुमसुम सी एक कोने में खड़ी है  अधिकारों के लिए आसमां सिर पे उठा रखा है  जिम्मेदारी से सबने अपना पल्ला झाड़ रखा है  "निरंकुश अधिकार" "जि

नफरतों के नर्क में झुलसने से अच्छा है  प्यार के सागर में गोता लगा लिया जाये  नफरतों के बियाबान में भटकने के बजाय  क्यों न प्यार का एक दीपक जलाया जाये  नफरत के जख्म बन जाते हैं नासू

सखि, मन बहुत उदास है । 1988 से 1990 का काश्मीर का माहौल याद आने लगा है । उस समय हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा गया था । उनकी बहन बेटियों से दुष्कर्म,  सामूहिक बलात्कार और उनके साथ सरेआम बदसलूकी

काजल के पापा राजेश अपनी पत्नी सीमा को एक लड़के का फोटो दिखाते हुए बोले "आर्यन है ये । नामी गिरामी उद्योगपति मुंजाल साहब का बेटा । कितना स्मार्ट है ? इसका रिश्ता आया है काजल के लिए ।  बोलो क्या कह

सुरेश ने देखा कि मां को अब थोड़ी सी झपकी लगी है तो वो भी स्टूल को दीवार के सहारे करके थोड़ा सुस्ताने की कोशिश करने लगा। मां का बुजुर्ग शरीर था कल रात से ज्यादा तबीयत खराब थी इसलिए आईसीयू में भर्ती करन

अहसासउनके जाने से पता चलाकि जान कैसे जाती हैहर एक पल हर एक घड़ीअहमियत उनकी , समझाती है ।बहुत इन्तजार था कि मनायेंगे जश्न -ऐ-आजादीआती जाती हर सांस मगरगुलामी की दास्ताँ कह जाती है ।ना व्हाट्सएप का ह

"अच्छी बुरी परिस्थितियां हर एक के जीवन में आती हैं... पर परिस्थितियों से लड़ना हर एक को नहीं आता।"  {311}     "किसी को क्षमा करके जो शांति मन को मिलती है... वो दुनिया की किसी वस्तु में नहीं है।"  

"यह कैसा दौरे जमाना है।   जहां... इंसान से लेकर इंसाफ तक हर चीज बिकती है"  {309}    "कितना विरोधाभास है किसान के जीवन में... छत उसकी टपकती है  फिर भी वह बारिश की दुआ करता है I"  {310} 

"व्यक्ति के अपशब्द ही  वक्त का रूप लेकर बोलते हैं।"   {303}     "यह डिग्रियां तो सिर्फ शब्द पढ़ाती हैं... वास्तव में मनुष्य की वाणी ही उसे शिक्षित बनाती है।"  {304} 

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