School Life.... स्कूल लाइफ की बात ही कुछ और थी हमारी। पहले दिन से ही स्कूल मे दाखिले के दिन से ही नए नए दोस्त बनना जिसे हम जानते भी नहीं थे वो मिलते है यहाँ । और वही लोग कब लाइफ का हिस्सा बन जाते हैं पता भी नहीं चलता लेकिन जो भी है जब भी मैं अपनी स्कूल या कॉलेज लाइफ कि तरफ मुड़कर देखता हूँ। सच बताऊँ तो दिन बन जाता है सारे लोग एक पल मे आँखों के सामने नज़र आने लगते है। वैसे हमारा नाम स्कूल मे हमेशा टॉपर लिस्ट में हुआ करता था लेकिन एक बात ये भी थी की मैं कभी कक्षा में प्रथम भी नहीं आया।लेकिन मेरा स्थान कक्षा मे दूसरा या तीसरा जरूर होता था। कक्षा में झगडों के मामले मे भी हमारा नाम सबसे ऊपर होता था। हमारे कुछ स्पेशल फ्रेंड हुआ करते थे जिनके साथ हम हमेशा क्रिकेट,वालीवाल,चोर-सिपाही,लूडो ये हमारे स्पेशल गेम हुआ करते थे।अच्छी बात ये थी की उस टाइम मोबाइल का जमाना नहीं था नहीं तो हमें इतना हँसनुमा लाइफ जीने का मौका कहाँ से मिलता। मेरा पहला स्कूल हमारे गाँव का ही श्री एम•पी• पाल हाई स्कूल शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश था। जहाँ पर मैंने कक्षा 8 तक पढ़ाई की थी।वहाँ पर ज्यादातर गाँव के लोग ही हुआ करते थे लेकिन एक जज्बा था उस टाइम कुछ बनने का। लेकिन कुछ दोस्त आज भी हैं जो बराबर कॉन्टेक्ट में है। सब लोग अपनी लाइफ में आगे बढ़ गए कुछ आगे की पढ़ाई के लिए बाहर शिफ्ट हो गए कुछ घर से ही कर रहे कुछ ने शायद पढ़ाई छोड़कर दूसरे कामों में लग गए सब लोग मिलते है और कुछ नया जानने और सीखने को मिलता है। लेकिन जब भी मिलते है जब भी सारे दोस्त इकठ्ठा होते है वो दिन सभी के लिए स्पेशल होता है क्योंकि बहुत कम मौके मिलते है जब सारे दोस्त इकट्ठा मिले कभी। ज्यादातर हमारे गाँव के मेले के दिन जिस दिन मेला लगता है हमारे गाँव में ज्यादातर तभी मुलाकात होती है। अभी कुछ दिन पहले ही काफी दोस्तों से मुलाक़त हुई 24-26 दिसम्बर को हर साल हमारे गाँव में मेला लगता है तभी।कुछ मिले जो नहीं आ पाये वो मोबाइल से विडीओ कॉल के जरिए मेले का आनंद लिया लेकिन अच्छा लगता है जब भी हम मिलते होते है।जिन दोस्तों से स्कूल लाइफ में हमेशा लड़ा और झगड़ा करते थे वो भी आज बेस्ट फ्रेंड है। लाइफ से और क्या चाहिए।वो टीचर्स भी हमें आए दिन मिल ही जाते है हमें कभी ना कभी जो हमारी शैतानियों की वजह से आज भी हमें बोल ही देते हैं कभी ना कभी और हमेशा
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