*प्रवित्ती* ( कहानी--प्रथम क़िश्त ) मनोहर देशमुख एक मंझोला किसान था । उनके पिता ने अपनी मेहनत से लगभग 15 एकड़ जमीन अर्जित की थी । मनोहर अपने परिवार का तीसरा सुपुत्र था । उसके दो बड़े भाईयों का नाम नोहर और गजो धर था । अभी वे सभी एक संयुक्त परिवार
लेख,निबन्ध,डायरी
सूरज किसी कारण से निराश होकर निकलना बंद कर दे तो शैतानों का राज हो जाएगा।
मौत के बादल घने हैं दिल के कमरे डर रहे हैं। अब शिफाखाना में भी बस, मान रुपयों को मिले हैं। मुल्क ख़तरों से घिरा है आफिसर घर में घुसे हैं। इस महामारी में भी धन लूटने में सब लगेहैं। सड़कों पर जो लोग रहते, मास्क के दम ही बचे हैं। ( डॉ संजय दानी
माना रास्ता कठिन जरुर हैं। पर ना मुमकिन नही
हर तरफ़ ग़म का तूफ़ान है, खुशियों का दीया बेजान है। शह्र में धूप आती नहीं, सूर्य गांवों का मेहमान है। आशिक़ी के मुहल्ले में अब, बेवफ़ाओं का गुणगान है। जब से बच्चे विदेशी हुवे, बाप को ख़ौफ़े-शमशान है। मौत के बाद मिलता सुकूं, जीते जी सब परेशान हैं। ( डॉ
जीने के तरीके को परिभाषित करती ग़ज़ल।
यह पुस्तक मेरी कविताओं का यह पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह जिसमें जीवन अध्यात्म सामाजिक और स्त्री विमर्श से संबंधित कविताएं मैंने लिखी हैं। आशा करती हूं आप सभी को पसंद आएंगी।
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शब्द-शब्द फूल बन कविता की बेल में गुँथा लहरा रहा द्रुम डाल पर उन्मुक्त और मुक्त इस अनुपम सृजन की सराहना कर ।। राघवेन्द्र कुमार "राघव"
इसमें सप्ताहिक प्रतियोगता के सम्बंधित आर्टिकल पब्लिश हैं