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शंखिनी

27 फरवरी 2022

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प्रकृति ने समय-समय पर कुछ ऐसे जीवो का निर्माण किया है जो वातावरण और अनुकूलता से बिल्कुल अलग होते हैं और उनके अंदर कुछ मनुष्यों के गुण भी विद्यमान रहते हैं आज की कहानी इसी क्रम में आधारित है

रोहन - माँ आज कॉलेज का कैम्प है वहां जा रहा हूँ

(रोहन 19 साल का युवा जो नए जोश से भरा हुआ है और कुछ नया करने की इच्छा मन मे है  )

माँ - जल्दी आ जाना  पर जाना कहाँ है कैम्प में  ......
रोहन - श्रापखोड़ी के जंगलों में

माँ - वहाँ कोई कैम्प लगता है भला

रोहन - मैं जा रहा हूं बाद में करता हूं

माँ- ख्याल रखना और समय पर खाना खा लेना

रोहन - ठीक बाई..... बाई ....

कैंप में सभी स्कूल के बच्चे उस जगह पर पहुंचते हैं और वहां स्कूल द्वारा बताई गई गतिविधियों में लग जाते हैं रोहन और उसके चार दोस्त भी कुछ नया करने की तलाश में जुट जाते हैं

रोहन, रिंकी ,पीहू, निशान यह चारो कुछ नया देखकर बहूत खुश होते है ।
रोहन- यार निशान देखो कितना बड़ा जंगल है
अंदर चलेगा घूमने
निशान - नही यार .....
रोहन - चल न
रिंकी और पीहू से पूछ लो ...
दोनो चलने को राजी हो जाती है

चारों दोस्त जंगल में अंदर चले जाते हैं और वहां की रोचकता और भव्यता देखकर खो जाते हैं तभी कुछ दूरी पर रोहन को एक गुफा नुमा पहाड़ दिखाई देता है वह निशान से कहता है 

रोहन - यार निशान आओ गुफा में चले
निशान - नही यार......
रोहन - चल न डर रहा है क्या .......
तभी अजीब सी एक संख की आवाज होती है रिंकी और पीहू डर जाती हैं और कैम्प की तरफ भाग जाती हैं और कहती हैं

रिंकी-  मैं कहीं नहीं जा रही हूं मैं वापस जा रही हूं
चल पीहू......

पर रोहन और निशान दोनों उस गुफा की ओर बढ़ जाते हैं तथा गुफा में अंदर पहुंचकर वह वहां की भव्यता और पुराने मंदिरों के पत्थरों को देखकर उनको बड़ा अच्छा लगता है वह सोचते हैं कि हम लोगों ने किसी नई सभ्यता की खोज कर ली है तथा वह अंदर की भविता देखने के लिए उस गुफा में और अंदर चले जाते हैं गुफा अंधेरी होती जाती है और वहां पर अजीब अजीब सी आवाजें आने लगती तभी......

शससससस.....शहहह.......
वहाँ की हवा ठंडी होती है ....

रोहन का पैर फिसलता है ......... निशान निश...... बचाओ .... बचाओ.....

निशान - कहाँ है तू रोहन
रोहन - यहाँ गड्ढे में .... देख
निशान - रुको मैं मदद करता हूँ

काफी प्रयास करने के बाद भी निशान रोहन को नहीं निकाल पाता है और थक हार कर वह रोहन से कहता है कि तुम रुको मैं कैम्प से सहायता लेकर आता हूं
और रोहन वही उस गड्ढे में निकलने की कोशिश करता है और निशान कैम्प की ओर दौड़ता है .....

रोहन उस गड्ढे में से निकालने के लिए कोई ना कोई  तरकीब सोच ही रहा होता है तभी एक शंख की  अजीब सी ध्वनि होती है और सियार की आवाज निकालते हुए एक भयानक स्त्री बड़े बड़े दांत वाली सामने खड़ी होती है
शहहहहहहहह ......  शहहहहहह......

(रोहन और शंखिनी की नजरें मिलती है उसकी लाल लाल पुलती वाली आँखे देख कर )

रोहन - कौन हो तुम कौन.....कौ........
यह कहते हुए उसे बिहोशी आने लगती है ।।।

वह स्त्री (शंखिनी)  रोहन को अपने हाथों से निकालती है और उसके शरीर को अपनी जीभ से चाटने लगती है चाटने  के बाद रोहन का शरीर लकवा ग्रस्त हो जाता है और वह स्त्री रोहन को अपने कंधे में लादकर जंगल की ओर चली जाती है इस समय रोहन बेहोश हो जाता है

थोड़ी देर बाद रोहन अपने आप को एक घास के बिस्तर नुमा गद्दे पर पाता है और डरकर इधर उधर देखता रहता है......

तभी शंखिनी आती है
रोहन कौन हो तुम .......

  वह रोहन को एक ऐसी चीज पीने ( हरे रंग का पेह पदार्थ )  को देती है

रोहन पीने से मना कर देता है .........

(तब वह जबरजस्ती रोहन का मुंह खोलकर वह घोल पिला देती है )

इसे पीने के बाद रोहन अपनी सुध बुध खो बैठता है और उस स्त्री के प्रति आकर्षित होने लगता है

फिर दोनों सहवास करते है । दोनो प्रेम में खो जाते है
यह क्रिया लगभग पूरी रात चलती है और फिर रोहन सिथिल होकर उस घास के बिस्तर पर गिर जाता है ।

(इधर रोहन के सभी मित्र और उसके स्कूल वाले पूरी रात जंगलों में रोहन को ढूढ़ते  हैं पर रोहन का कोई अता पता नहीं चलता जिससे थक हार कर वह पुलिस को कॉल करते हैं
पुलिस उन्हें घर जाने को कहती है
और कहती है कि  .......
हम लोग जल्द ही रोहन  को ढूंढ लेंगे)

इधर शंखिनी रोहन के लिए कुछ खाने को लाती है उसमें कुछ कच्चा मांस मरे हुए चूहे और कुछ फल होते है रोहन झपट्टा मारकर उससे फल छुटा लेता है और खाने लगता है और शंखिनी जंगल की तरफ लौट जाती है ।।

रात को शंखिनी फिर लौट कर आती है और रोहन को फिर कुछ पीने के लिए देती है जिसको पीने के बाद रोहन फिर उस शंखिनी के प्रति आकर्षित होने लगता है और दोनों फिर वही क्रियाकलाप करने लगते हैं ।

निशान
मैं रोहन को ढूंढने जंगल जा रहा हूं कौन-कौन मेरे साथ चलेगा निशान के कुछ दोस्त तैयार हो जाते हैं और वह अपने तीन दोस्तों के साथ जंगल में रोहन को ढूंढने निकल जाता है वह इस तरह  लगभग 8 दिन तक रोहन को ढूंढते रहते हैं

इधर रोहन रोज रोज यौन क्रिया करते करते रोहन कमजोर हो गया है और वह अब कुछ नही कर पता है बस एक कोने में पड़ा रहता है ।
जब वह और सहवास नही पता है

शंखिनी  रोहन की तरफ देखती है और गुर्राती है और जंगल मे  निकल जाती है एक नए शिकार के लिए .....

ऐसे लगभग 7 से 8 माह निकल जाते हैं और रोहन की दशा बिल्कुल एक वृद्ध के तरीके हो जाती है उसके शरीर में केवल हड्डियों का ढांचा ही बचा दिखता है और वह कोने में पड़ा अपनी मौत का इंतजार करता है

और ईधर शंखिनी रोज नया शिकार  लाती और अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के बाद उन्हें कोने में फेंक देती ।।
और भूख लगने पर उन इंसानों को खा जाती है ।

रोहन के मित्र और रोहन के साथीयो  ने अभी रोहन को ढूंढने का संकल्प नहीं छोड़ा वह रोहन को रोज जंगल के हर कोने में ढूंढते और कहते कि जब तक रोहन नहीं मिल जाता तब तक हम नहीं छोड़ेंगे रोहन को ढूंढ कर ही रहेंगे

इस  कहानी की अगली कड़ी में
आप देखेंगे कि किस तरह निशान रोहन को ढूंढ लेता है और निशान पर संखनी जब हमला करती है तब क्या होता है .......

इंतजार करिए भाग 2 का ....

और अभी हमारे चैनल को fellow जरूर करें तथा कमेंट करके बताएं की कहानी कैसी लगी । 

धन्यवाद


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शंखिनी
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प्रकृति ने समय-समय पर कुछ ऐसे जीवो का निर्माण किया है जो वातावरण और अनुकूलता से बिल्कुल अलग होते हैं और उनके अंदर कुछ मनुष्यों के गुण भी विद्यमान रहते हैं आज की कहानी इसी क्रम में आधारित है शंखिनी एक ऐसी जीव है पुरषो का शिकार करती है और उनसे अपनी यौन तृप्ति करने के बाद उनको मार देती है आप कहानी में पढ़ेगे की किस तरह रोहन कैंप में जाता है और वह संखिनी की चपेट में आ जाता है और कैसे रोहन उसकी कैद से भागता है फिर शंखिनी कैसे भेष बदलकर रोहन से मिलती है और दोनों में प्रेम होता है फिर शंखिनी एक बालक को जन्म देती है बहूत रोमांचित और सस्पेंस वाला है आप पढ़े आनन्द ले । धन्यवाद
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