आज फादर्स डे है। यह हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। आज छुट्टी का भी दिन है तो हर पिता अपने बच्चे को समय भी दे सकता है।
एक समय था जब बच्चों के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी मां के ऊपर होती थी। ममता का पर्याय थी मां।
पुरुष आर्थिक रूप से संबल देते थे लेकिन बच्चे के पैदा होने के बाद से लेकर उसके बड़े होने तक उसकी देखभाल और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मां की होती थी।
लेकिन अब ऐसा नहीं है अब समय बदल गया है एकल परिवार के पति-पत्नी दोनों मिलकर अपने बच्चे की परवरिश करते हैं।
पिछले वर्ष कोरोना काल मे कुछ और भी मार्मिक स्थितियां देखने को मिली। जहां कई बच्चों से उनकी मां छीन गई, मगर ऐसे में पिता ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और वह अपने बच्चे के मां और पिता दोनों बने।
ऐसे ही पिता को आज सिंगल फादर का नाम दिया गया है।
एक सिंगल फादर के लिए बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती। क्योंकि एक पिता को अर्थोपार्जन भी करना पड़ता है। सारा दिन ऑफिस में थकने के बाद घर पर आकर बच्चों के साथ प्यार से पेश आना, और उन की केयर करना यह बहुत ही कठिन होता है।
फिर भी कुछ ऐसे टिप्स हैं जिनके द्वारा एक पुरुष अपने बच्चे की देखभाल अच्छे से कर सकता है और बच्चों के लिए एक अच्छे पिता का उदाहरण बन सकता है।
1… सिंगल फादर सरकारी कार्यक्रमों का उपयोग करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं, जो सिंगल पेरेंटिंग के लिए फाइनेंशियल हेल्प प्रदान करते हैं। लॉन्ग टर्म में उनका लाभ उठाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए नामांकन भी करना चाहिए।
2.. सिंगल फादर के लिए और उनके बच्चों के फायदे के लिए कुछ ऑनलाइन संसाधन मौजूद होते हैं। जिनमें कुछ पेरेंटिंग एजुकेशन पोर्टल हैं और कुछ अन्य टूल किट हैं जो आपको एक अच्छे पिता बनने में मदद करेंगे।
3….. ज्यादातर पिता यह सोचते हैं कि उनके बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए खूब सारा पैसा होना बहुत जरूरी है और इसके लिए वह दिन रात काम में लगे रहते हैं। और बच्चों को मेड या रिश्तेदारों के भरोसे ही छोड़ देते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। मेड या रिश्तेदार कोई कितना भी केयर क्यों न कर ले, वह माता या पिता की जगह नहीं ले सकता।
इसलिए अपने काम में से प्रतिदिन कुछ समय बच्चों के लिए जरूर निकालें। साथ ही उन्हें लेकर बाहर घुमाने ले ले जाए ताकि बच्चे आपके साथ सहज बर्ताव कर सके और वह अपनी परेशानियां भी आपके साथ शेयर कर सके।
अगर आपकी लड़की है तो फिर तो आपको और भी ज्यादा समझदारी से काम लेने की जरूरत है, क्योंकि लड़कियां बचपन से ही संवेदनशील होती हैं और मां के ज्यादा करीब होती है। अपने साथ करीबी बनाने के लिए आपको बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी।
आरती प्रियदर्शिनी