आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस वर्ष "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाया जा रहा है, इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से अनुरोध किया है कि इस वर्ष राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भरपूर सम्मान देना है। उन्होंने 2 अगस्त को अपना डीपी (डिस्प्ले फोटो) पर तिरंगा लगाते हुए देशवासियों से भी डीपी पर तिरंगा लगाने की अपील की। इस सूचना के साथ ही लोगों में डीपी बदलने का उत्साह हिलोरे मारने लगा। साथ ही उन्होंने 13 से 15 अगस्त के बीच "हर घर तिरंगा" फहराने की भी अपील की है। प्रधानमंत्री जी के अनुसार ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के नव युवकों में अपने देश एवं झंडे के प्रति सम्मान की भावना जागृत किया जा सके। ब्रिटिश साम्राज्य से देश को आजाद कराने के लिए जिन रणबांकुरों ने बलिदान दिया है उसे लोगों को याद कराया जाए सके। अभी से ही इस अभियान का असर दिखने लगा है। राज्य सरकारें भी इस अभियान को सफल बनाने में युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं। युवाओं में भी अच्छा खासा जोश दिख रहा है
गोरखपुर में भी "हर घर तिरंगा अभियान" को सफल बनाने में नगर निगम जुट गया है। नगर निगम हर वार्ड में पांच सौ तिरंगा पहुंचाएगा। सुपरवाइजरों के माध्यम से तिरंगा घर-घर पहुंचाया जाएगा। तिरंगा रैली, मैराथन, किन्नर समाज की तिरंगा रैली समेत आठ दिवसीय कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय कर दी गई है।
इन सबसे परे सत्ता के गलियारों में कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं, और कई चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। इस अभियान को लेकर कई दल राजनीति भी कर रहे हैं। बयानबाजी का दौर जारी है। बावजूद इसके सोशल मीडिया अभी से ही तिरंगामय् हुआ है।
इन सभी के बीच कुछ ऐसे सवाल भी उभर रहे हैं जिनका जवाब शायद 15 अगस्त के बाद ही पता चलेगा।
देश के बच्चे बच्चे से तिरंगे के सम्मान की उम्मीद की जा रही है परंतु क्या जनता इस तिरंगे से जुड़े सारे नियम जानती है ? "हर-घर तिरंगा" अभियान की समाप्ति के पश्चात उन करोड़ों तिरंगों का क्या होगा?"
तिरंगे के सम्मान में जो नियम बनाए गए हैं उस नियम से क्या हर घर परिचित है?
यह सारे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हमेशा से यह तथ्य रहा है जब भी कोई चीज खास से आम हुई है उसके सम्मान में गिरावट आई है। ऐसे में झंडे के सम्मान का क्या होगा?
मैं आपको बता दूं कि आजादी के पहले देश के सरकारी इमारतों पर इग्लैंड का झंडा-यूनियन जैक फहराता था। तब भारतीयों को तिरंगा रखने पर सजा हो जाती थी।
अनगिनत क्रांतिकारियों के बलिदान का परिणाम है कि 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू इस तिरंगे को फहराकर देशवासियों को गुलामी के युग से आजादी के नए सवेरे में लेकर आए थे। तब से आज तक इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। फौजियों के लिए आन बान और शान है तिरंगा।
खिलाड़ियों का सीना चौड़ा हो जाता है जब राष्ट्रगान की धुन पर विदेशी धरती पर तिरंगा लहराता है।
इस तिरंगे को फहराने के लिए भी कई नियम और कानून बने है।
राष्ट्रध्वज एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के तहत राष्ट्रध्वज के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जाता रहा है। इस तरह के सभी कानूनों, दिशा-निर्देशों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने की एक कोशिश फ्लैग कोड 2002 है। फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 को साल 2002 में 26 फरवरी से देशभर में लागू कर दिया गया और इससे पहले के सभी फ्लैग कोड स्वत: निरस्त हो गए।
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत राष्ट्रीय ध्वज को उल्टा या जमीन से छूते हुए और सिंगल फ्लैग पोल से नहीं फहरा सकते हैं। इस कड़ी में यह भी ध्यान रखना है कि तिरंगे की सुरक्षा में ऐसे कदम भी नहीं उठाए जाएं जो उसे क्षतिग्रस्त कर दें। इसके अलावा तिरंगे को शरीर पर लपेटा नहीं जा सकता है। उसे बतौर रूमाल इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं यानी रूमाल पर तिरंगे को नहीं छाप सकते है और ना ही किसी अन्य पोशाक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा हाथ से बुने हुए सूत, रेशम और ऊन की खादी पट्टी से बना होता है। भारत के राष्ट्रध्वज की लंबाई-चौड़ाई की बात करें तो यह हमेशा 3:2 में होता है। इसका मतलब यह कि अगर लंबाई 3 इंच है तो चौड़ाई 2 इंच ही होगी।
व्यक्ति के पद और वह किस स्थान पर है, इसी के अनुसार राष्ट्रध्वज का आकार भी तय होता है।
राष्ट्रध्वज जमीन पर गिरा नहीं होना चाहिए और ना ही कचरे में फेंका जाना चाहिए। यदि राष्ट्रध्वज किसी भी तरह से खराब हो गया है तो उसे एकांत में पूरी तरह से नष्ट किया जाने का प्रावधान है। क्या इन सारे नियमों का पालन हर घर कर पाएगा?
इन सब से परे एक बड़ा सवाल ये है कि इस प्रकार हर घर तिरंगा अभियान जारी कर देने मात्र से क्या लोगों में देशभक्ति की भावना का संचार हो सकेगा ?
आरती प्रियदर्शिनी