कभी-कभी मुझे लगता है कि हम सब एक स्वार्थ भरा जीवन जी रहे हैं।
हमारे जीवन में सिर्फ हमारा परिवार, हमारे रिश्तेदार ,हमारे दोस्त और सगे संबंधी का ही महत्व रहता है।
इसके अलावा अगर हम सोशल मीडिया पर कोई रिश्ता निभाते हैं तो वह भी एक प्रकार का आभासी रिश्ता ही होता है, जो हमेशा सिर्फ मोबाइल में ही होता है असल जिंदगी में नहीं होता।
...... तो कभी-कभी हमें अपने इस स्वार्थ भरे खोल से बाहर निकलकर स्वयं को इस पूरी सृष्टि का एक सदस्य मानते हुए भी कुछ काम करने चाहिए ,जो आपके मन को सुकून दे।
एक ऐसा काम जिसके बारे में या तो सिर्फ आप जानते हो या आपका भगवान...
मगर हां !! यह काम केवल दूसरों को खुशी देने का ही होना चाहिए.... अगर खुशी ना भी दे सके तो कम से कम उसे दुख ना पहुंचाएं ।
इस पूरी सृष्टि में अनेक जीव है और वह भी ईश्वर का बनाया हुआ अंश है। उनके अंदर भी ईश्वर का वास है..... जब हम सिर्फ अपने आसपास ना देख कर चारों ओर अपनी दृष्टि फिराते हैं तो हमें एक बृहत मार्ग प्रशस्त होता दिखाई देता है।
मेरे ऐसा कहने का तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं है कि हम अपने जिम्मेदारियों से विमुख हो जाए, परंतु अपनी जिम्मेदारियों को जब हम अपना बंधन बना लेते हैं तो यह बंधन हमें इस सृष्टि में अपना स्थान बनाने में अवरोधक बनने लगता हैं ।
दोस्तों... यह समय का पहिया हमेशा घूमता रहेगा और हम सब इस समय चक्र में धूल की भांति बिखरते रहेंगे।
.... और एक दिन हमारा कण-कण परिवर्तित होकर इस सृष्टि में विलुप्त हो जाएगा।
परंतु यदि हमने इस सृष्टि के लिए कुछ किया है तो हमारे कार्यों का अंश... यहां सदैव गुंजायमान होता रहेगा।