वेब सीरीज ने किया भाषा का पतन
कोरोना काल में जहां एक तरफ हम अपने स्वास्थ्य को लेकर हद से ज्यादा सजग हुए हैं वही लॉकडाउन के कारण घरों में बंद रहने तथा एवं दहशत के वजह से हम मानसिक रूप से कमजोर भी हुए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान तो बच्चों का हुआ है। घर में सारा दिन बोर होने के कारण मोबाइल ही उनका एकमात्र सहारा था, क्योंकि माता-पिता तो वर्क फ्रॉम होम में व्यस्त रहते थे और बच्चे ना तो स्कूल जा सकते थे और ना ही दोस्तों के साथ खेलने। टीवी, मोबाइल या लैपटॉप में बच्चे तथा युवा वर्ग का सबसे पसंदीदा प्लेटफार्म रहा, ओटीटी। यानी कि वेबसीरीज देखना। लॉकडाउन के दौरान धड़ल्ले से वेब सीरीज देखी गई है, जिसमें एक बहुत बड़ा दर्शकवर्ग बच्चों का है।
वेब सीरीज को सेंसर बोर्ड के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती इसीलिए ज्यादातर वेब सीरीज में अश्लीलता, मारधाड़, खून खराबा, गालियां एवं अंधविश्वास की भरमार होती है। एक सोशल मीडिया पर हुए सर्वे के अनुसार कई माता-पिता ने यह स्वीकार किया कि पिछले आठ नौ महीने में उनके बच्चों के रहन-सहन एवं भाषा में बहुत ज्यादा परिवर्तन हुए हैं। बच्चों को अपना जीवन जैसे बेकार सा लग रहा है, वह अपनी जिंदगी में रोमांच एवं थ्रिल लाना चाहते हैं। हर किसी की कार्यशैली पर शक करना, द्विअर्थी भाषा का प्रयोग करना, आतंकवाद, लव जिहाद इत्यादि की अधकचरी परिभाषा को बखान करना, नशा करना... यह सब उन्होंने वेब सीरीज से ही सीखा है। दरअसल यह वेब सीरीज भी एक तरह का एडिक्शन होता जा रहा है, क्योंकि गलत देखना एवं गलत सुनना दोनों ही बच्चों के मन मस्तिष्क को रोगी बना देता है। उन पर मानसिक बदलाव दृष्टिगोचर होने भी लगें है। चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव, भुख न लगने की शिकायत। सबसे बड़ा असर भाषा की अभद्रता के रुप में सामने आ रहा है।
आजकल के छोटे बच्चे भी आपस में कई ऐसी अंग्रेजी गालियों का प्रयोग कर रहे हैं जिसका शाब्दिक अर्थ वे स्वयं भी नहीं जानते हैं। माता-पिता भी इन चीजों को नजरअंदाज कर रहे हैं। आने वाले दशकों में इसके भयंकर परिणाम देखने को मिल सकता है। आज की पीढ़ी गाली देकर बात करने तथा द्विअर्थी भाषा का प्रयोग करने में स्वयं को अति आत्मविश्वासी समझ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर हिंग्लिश के उपयोग ने हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा को वैसे ही बिगाड़ कर रख दिया था और अब यह वेब सीरीज में प्रयुक्त होने वाली गालियां अपशब्द तथा द्विअर्थी संवादों ने बच्चों की बोलचाल की भाषा का भी सत्यानाश कर डाला है। तू तड़ाक और गाली गलौज वाली इन भाषाओं में ना तो सम्मान है और ना ही संस्कृति। बड़े छोटे के साथ भाषा का अंतर तो कब का समाप्त हो चुका है। हिन्दी भाषा की खासियत है कि वह हर वर्ग, हर उम्र, हर परिवेश के साथ सामंजस्य बनाकर चलती है। इसमें विनम्रता सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है, पर अब ये सुगठित वाक्य संरचना या सुहावने शब्द वेब सीरीज में नहीं हैं। हिंसा को बढ़ावा देने वाले, अपमानजनक शब्दों का प्रयोग इन नवांकुर, भोले बच्चों को जिस दिशा में ले जा रहा है यह विचारणीय है। आज अधिकांश बच्चे उस स्तरहीन भाषा का प्रयोग करते हैं और आश्चर्य होता है जब उनके माता-पिता उनकी इस भाषा को सुन आनंदित होते हैं, स्वयं को आधुनिक कहते हैं। ना सिर्फ हिंदी भाषा बल्कि अंग्रेजी भाषा का सत्यानाश हुआ है इस वेब सीरीज के चक्कर में एक समय था जब अंग्रेजी में बात करना स्टेटस सिंबल माना जाता था। लेकिन उस अंग्रेजी में भी सम्मान सूचक शब्दों का इस्तेमाल होता था जैसे कि किसी भी अनजान व्यक्ति को sir या ma'm कहना। कोई भी बात करने से पहले please,dear,may I जैसे शब्दों का उल्लेख करना। अब तो अंग्रेजी भाषा के भी कई सम्मान सूचक शब्द बच्चों की बातचीत की भाषा से गायब हो चुके हैं। सवाल यह है कि आखिर बच्चों में वेब सीरीज के प्रति रुझान आखिर क्यों पनप रहा है। कारण मुख्यतः सामाजिक परिवेश, सोच का बदला रुप, पढ़ाई का बढ़ता बोझ, बच्चों का सिमटता बचपन, मां-बाप की व्यस्त जीवनशैली ,एकल परिवार है। अच्छा होगा कि हम अपने बच्चों को पुस्तकों के प्रति रुचि जागृत करें स्वयं ही पुस्तकें खरीदे और उन्हें पढ़ें क्योंकि ज्यादातर बच्चे वही करते हैं जो वे अपने माता पिता को करते हुए देखते हैं। आजकल घरों से पुस्तकें लगभग गायब हो चुकी हैं। कुछ वेब सीरीज अच्छे एवं ज्ञानवर्धक भी होते हैं माता-पिता चाहे तो बच्चों को ऐसे वेब सीरीज देखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, क्योंकि बच्चें तो गीली मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें जिस आकार में ढालेंगे, उसी में पल्लवित होंगे। उनकी ऊर्जा को सही आकार नहीं दिया गया तो परिणाम विपरीत दिशा में जा सकते हैं। समय-समय पर उनसे तथा उनके दोस्तों से उनके जीवन शैली एवं उनके फ्यूचर प्लान के बारे में भी बातें करते रहे आपकी यह बातचीत शालीनता पूर्वक भाषा में ही होनी चाहिए । आप स्वयं भी अपने बड़े बुजुर्गों तथा दोस्तों से बात करते समय भाषा की शालीनता का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि बच्चे इन सभी चीजों को बहुत ज्यादा आब्जर्व करते हैं। अगर बच्चे कुछ गलत भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्हें अवश्य टोके। अपने भाई बहन तथा कजंस के बीच भी सम्मान सूचक शब्दों का प्रयोग करना सिखाए। याद रखिए हिन्दी भाषा ने अपने विकास के कई पड़ाव पार किए। कई परिवर्तन आए हैं वाक्य संरचना में, शब्दों में, अभिव्यक्ति में ,पर हम आज जो परिवर्तन देख रहे हैं वो दरअसल परिवर्तन नहीं पतन देख रहे हैं।
आरती प्रियदर्शिनी, गोरखपुर