shabd-logo

नजरिया

24 अक्टूबर 2021

25 बार देखा गया 25
आज ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं की आजादी को लेकर  कई कानून एवं नियम बनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई पुराने नियमों को हटाकर नए नियम पारित किए हैं जो कि महिलाओं के हक में ही है। फिर भी है यदि हम आज का अखबार देखें या  अपने घर एवं आसपास के माहौल का दृश्यावलोकन करें तो हमें महिलाओं की स्थिति दयनीय ही दिखाई देगी।
     आज  स्त्री के आत्मनिर्भर होने का ढोल पूरी दुनिया पीट रहा है। परंतु क्या प्रत्येक स्त्री स्वतंत्र है ? यह एक विचारणीय प्रश्न है।  भारतीय स्त्रियां भले ही आत्मनिर्भर हो परंतु यह पुरुष ही तय करते हैं कि उन्हें किस हद तक स्वतंत्र रहना है।  फिर चाहे वह एक मजदूर स्त्री हो या यह किसी मल्टीनेशनल  कंपनी में काम करने वाली महिला। आए दिन महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सहकर्मी है या बॉस के द्वारा मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होती रहती है। पुरुष भी अपनी नौकरीशुदा पत्नी पर शक करता रहता है। समाज में भी स्वतंत्रता की इच्छा रखने वाले स्त्री को चरित्रहीन माना जाता है। आज "हैशटैग मी टू अभियान" जोरों पर है। हर महिला को अपने आसपास के पुरुषों से शिकायत है कि वह उनका शारीरिक शोषण कर रहा है। और यह काफी हद तक सच भी है। ज्यादातर पुरुष स्त्रियों को मात्र एक "देह" समझते हैं। मगर आज  विडंबना यह है कि इस प्रकार के शिकायत करने वाली महिलाओं का समाज में सारे लोग साथ नहीं दे रहे हैं। ज्यादातर लोग उनके चरित्र पर ही उंगलियां उठा रहे हैं। यौनशोषण को हमेशा से महिलाओं के चरित्र से जोड़कर देखा गया है इसीलिए महिलाएं शोषित होते हुए भी चुप रहना ज्यादा पसंद करती हैं। मगर अब समय बदल रहा है। अब उन्होंने आवाज उठाना शुरू किया है । मगर इस पर भी पुरुष अपने ऊपर अत्याचार कह रहे हैं।
आज  बेहद अफसोस होता है कि सिर्फ अपवादस्वरूप कुछ घटनाओं के आधार पर समस्त स्त्री जाति को कठघरे में खड़ा कर दिया गया है. महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार की तुलना में ये तो कुछ भी नहीं हैं. और हम मानें या न मानें, मगर बगावत की यह चिंगारी भी पुरुष सत्तात्मक समाज की ही देन है.
हर लड़की अपने घर, समाज या आसपास में कभी न कभी पुरुषों के अत्याचारीरूप से जरूर अवगत होती है. तब यही वीभत्स रूप उन के अवचेतन में कहीं न कहीं अंकित हो जाता है जिस से वह चेतनावस्था में स्वयं भी अनभिज्ञ रहती है. उस की यही दमित भावना उसे पुरुषों के प्रति प्यार को मन में पनपने नहीं देती और वह बदले की भावना से उत्प्रेरित हो कर कुकृत्य करने को विवश हो जाती है. सदियों से जो चिंगारी दबाई जा रही थी, आज जब उस ने सुलगना प्रारंभ किया तो आधुनिकता की आंधी ने हवा दी और वह पुरुषों के लिए ज्वालामुखी बन गई. महिलाओं ने तो अत्याचार सहन करना अपने रोजमर्रा के कार्यों में शामिल कर लिया है परंतु पुरुष तो अभी इस सहनशक्ति नामक गुण से वंचित है.
यह सच है कि घरेलू हिंसा कानून का आज कुछ हद तक दुरुपयोग किया जा रहा है. जिस कानून को महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था उस का इस्तेमाल अब तलाक लेने के लिए किया जा रहा है. परंतु इस के लिए सरकार ज्यादा दोषी है. सरकार को इस में यथोचित फेरबदल कर के इसे ऐसा बनाना होगा कि सब को उचित न्याय मिल सके.
टीवी पर आने वाले कुछ धारावाहिक स्त्रियों का ही नहीं बल्कि पूरे समाज का नैतिक पतन कर रहे हैं. इस के लिए सरकार को सैंसर बोर्ड को सावधान करना होगा. मगर साथ ही हम सब को यह समझना होगा कि स्त्री और पुरुष परस्पर एकदूसरे के पूरक हैं. सिर्फ स्त्री या सिर्फ पुरुष का कोई अस्तित्व नहीं है. एक है तभी दूसरा है. एक को होने वाला कष्ट कभी न कभी दूसरे के लिए भी समस्या उत्पन्न कर सकता है.

*आरती प्रियदर्शिनी , गोरखपुर*
1

तूम्हारी बातें

20 सितम्बर 2021
3
3
2

<div> &nbs

2

समय चक्र

25 सितम्बर 2021
2
5
2

<div>कभी-कभी मुझे लगता है कि हम सब एक स्वार्थ भरा जीवन जी रहे हैं।</div><div>हमारे जीवन में सिर्फ हम

3

कुछ देर तो रूकना पड़ेगा

3 अक्टूबर 2021
1
4
0

<div align="left"><p dir="ltr"><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazon

4

प्रसिद्धि की महत्वकांक्षा

19 अक्टूबर 2021
6
4
1

<div>एक छोटी सी चिड़िया थी। उसकी अभी अभी आंखें खुली थी। जब भी उसकी मां दाना लेकर आती वह चोंच खोलती औ

5

नजरिया

24 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div>आज ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं की आजादी को लेकर कई कानून एवं नियम बनाए

6

अस्पताल की खिडकी

25 अक्टूबर 2021
2
1
2

<div align="left"><p dir="ltr">

7

हमारा स्वास्थ्य : हमारी दौलत

21 नवम्बर 2021
2
2
0

<p dir="ltr" style="line-height:1.38;margin-top:0.0pt;margin-bottom:0.0pt;" id="docs-internal-guid-6

8

धारावाहिकों मे व्याप्त अन्धविश्वास

24 नवम्बर 2021
1
1
0

<div>आज मैं टीवी सेरिअल्स के बारे में बोलना चाहती हूँ जो समाज में अंधविश्वास की जड़ें जमा रहे हैं .हम

9

वेब सीरीज ने किया भाषा का पतन

24 नवम्बर 2021
13
7
3

<div>वेब सीरीज ने किया भाषा का पतन</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>कोरोना काल

10

सिनेमा और सर्जरी

25 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>70- 80 के दशक में यदि किसी को खूबसूरत कहना होता था तो उसकी तुलना हीरो का हीरोइन से की जाती थी।

11

बस इतना ही सँग था

26 नवम्बर 2021
1
1
2

<div>बस इतना ही संग था....</div><div><br></div><div> कनाडा की रहने वाली सेल्विया घूमने की बहुत

12

स्कूली प्रार्थना का महत्व

30 नवम्बर 2021
0
0
0

<div> &nbs

13

पहचान

15 दिसम्बर 2021
2
1
2

<div>पहचान

14

वो खत आखिरी था

26 फरवरी 2022
5
0
0

वो खत आखिरी था जो मैंने ना लिखापर तुम तक तो पहुचांथा वो अहसास मेरा वो हर एक हर्फ मेरा थावो मैंने उकेरा थावो खुसबू जो रूह की थीजिसे तुमने छूआ थावो खत आखिरी था जो मैंने ना लिखा पर पह

15

अपने अपने फलसफे

17 मई 2022
1
0
0

अपने अपने फ़लसफ़ेये कहानी बताती है कि एक दुर्घटना कैसे ना सिर्फ परिवार को बर्बाद करती है बल्कि व्यक्ति का चरित्र हनन भी करती है, और रिश्तों की परिभाषा पर भी हजार सवाल खड़े करती है। लेकिन ये भी सच ह

16

सिंगल फादर की समस्या

19 जून 2022
3
2
0

आज फादर्स डे है। यह हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। आज छुट्टी का भी दिन है तो हर पिता अपने बच्चे को समय भी दे सकता है। एक समय था जब बच्चों के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी मां क

17

गीत और राखी का बंधन

10 अगस्त 2022
4
3
2

भारतीय सिने जगत का राखी के त्यौहार के साथ एक अनोखा बंधन है। आज भी हर वह फिल्म जिसमें भाई बहन हो तो राखी का एक दृश्य तो बनता ही है। लेकिन एक समय था, जब पूरी फिल्म भाई बहन की प्रेम, समर्पण और त्याग पर ह

18

स्वाभिमान तिरंगा है

14 अगस्त 2022
5
5
2

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस वर्ष "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाया जा रहा है, इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से अनुरोध किया है कि इस वर्ष राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भरपूर सम्मान देना

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए