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पहचान

15 दिसम्बर 2021

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पहचान                                                    

रात के करीब 2:00 बज रहे थे। दो खद्दर वस्त्रधारी रिक्शे मे बैठ कर जा रहे थे। रिक्शा चालक एक मरियल सा व्यक्ति था जो बड़ी मुश्किल से रिक्शा खींच पा रहा था। दोनों शायद किसी विधायक की पार्टी से आ रहे थे । जश्न की खुमारी में पूरी तरह डूबे हुए लग रहे थे । अभी भी दोनों के बीच पार्टी की ही चर्चा हो रही थी । बीच बीच में वह रिक्शा वाले को डांट भी रहे थे ----
"अरे जल्दी चलाओ भाई ! आज घर नहीं पहुंचाओगे क्या...?"
" मालिक ज्वर चढ़ा है..... कई दिनों से भरपेट खाना भी नहीं खाया... आंखों के आगे अंधेरा छा रहा है ....."----रिक्शा चालक ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अचानक उसका शरीर हवा में लहराया और अगले ही पल वह जमीन पर औंधा गिर गया। दोनों रिक्शा सवार गिरते-गिरते बचे । एक ने तो भद्दी सी गाली भी दे डाली----
"स.... सा..ला ....रात में पी का रिक्शा चलाता है ,और शरीफों को परेशान करता है"
वो और कुछ कहते इससे पहले.... सामने से एक नौजवान आता हुआ दिखाई दिया। हाथ में बोतल और लड़खड़ाते कदम उसकी असलियत बयान कर रहे थे। दोनों अभी उसे पहचानने की कोशिश ही कर रहे थे कि वह नौजवान मुंह के बल गिर पड़ा। उन दोनों ने अब रिक्शेवाले को छोड़कर उस किशोर के पास भागे और उसको सीधा लिटाया।
"... अरे! यह तो मंत्री जी का लड़का प्रकाश है । इसी हफ्ते अमेरिका से पढ़ाई पूरी करके लौटा है । कल मीटिंग में मंत्री जी ने इनकी पहचान देश के भावी समाज सेवक के रूप में करवाई थी। लेकिन यह... यहां ...इस तरह..." ----  पहला अभी दिमाग पर जोर लगा ही रहा था कि दूसरे ने सफाई पेश की----
" अरे ! मंत्री जी का लड़का है। एक तो कोमल बदन ऊपर से फौरन रिटर्नड... अब इतनी रात में पैदल चलेंगे तो क्या चक्कर नहीं आएगा...? मंत्री जी की ऐसी भी क्या समाजसेवा कि अपने बच्चों के खाने पीने और घूमने फिरने का ध्यान भी ना रख सके। थोड़ी देर के लिए अपनी सरकारी गाड़ी ही दे देते तो देश का क्या घट जाता। चलो इन्हें घर पहुंचा दे वरना इनके घर के लोग बेटे के इंतजार में भूखे ही सो जाएंगे।" ----
इतना कहते हुए दोनों ने पीठ पर प्रकाश डाला और मंत्री जी के घर चल पड़े । इधर उस सुनसान सड़क पर रिक्शावाला जीवन की अंतिम सांसे गिन रहा था। पत्नी बच्चों को लेकर अभी तक इंतजार कर रही थी कि कब वह आए और चूल्हा जला कर बच्चों को कुछ खिलाए । लेकिन उस सड़क पर रिक्शा वाले को पहचानने वाला कोई नहीं था फिर कौन उसे घर पहुंच जाएगा भला....?

                                             आरती प्रियदर्शिनी , गोरखपुर
संध्या यादव ''साही"

संध्या यादव ''साही"

Arti ji! Apne meri book" sach ke rahi" ka book review likha hai lekin rating dena aap bhul gai hain shayad. Plz wahan par jakar rating bhi den.🙏🙏

15 दिसम्बर 2021

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