आधुनिक काल में जो विमर्श हाशिये पर थे, उन्हें उत्तर आधुनिकतावाद ने केन्द्र में स्थापित कर दिया है। चाहे दलित विमर्श हो या स्त्री-विमर्श, दोनों ने ही न केवल अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है
आधुनिक काल में जो विमर्श हाशिये पर थे, उन्हें उत्तर आधुनिकतावाद ने केन्द्र में स्थापित कर दिया है। चाहे दलित विमर्श हो या स्त्री-विमर्श, दोनों ने ही न केवल अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है, अपितु अपन