दस मई 1857, रविवार मेरठ के फिरंगियों का विश्राम का दिन था। इनमें ज़्यादातर अंग्रेज़ कुछ पुर्तगाली कुछ डच और कुछ अन्य यूरोपियन थे। कुछ सदर में शॉपिंग कर रहे थे, कुछ चर्च में थे और कुछ घरों में। अचानक शोर शराबे के साथ काली पलटन के कुछ सिपाहिय
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ? दंगा ,धरना प्रदर्शन सड़क बंद मैनेजमेंट गुरुओं की कारस्तानी काएक नमूना शाहीन बाग़ डॉ शोभा भारद्वाज देश विरोधी नारे , गांधी जी,अम्बेडकर के चित्र संविधान की कापी दिखाते,कभी -कभी राष्ट्रीय गान का ड्रामा सब भारत के गौरव तिरंगे की आड़ में ?