अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ? दंगा ,धरना प्रदर्शन सड़क बंद मैनेजमेंट गुरुओं की कारस्तानी का
एक नमूना शाहीन बाग़
डॉ शोभा भारद्वाज
देश विरोधी नारे , गांधी जी
,अम्बेडकर के चित्र संविधान की कापी दिखाते
,कभी -कभी राष्ट्रीय गान का ड्रामा सब भारत के गौरव तिरंगे की आड़ में ? स्वतंत्र
भारत में आजादी आजादी के नारे ,कैसी आजादी ? शाहीन बाग़ में महत्व पूर्ण मार्ग को
रोक कर ( और भी विभिन्न शहरों में )मुस्लिम महिलायें अपने बच्चों के साथ धरने पर
बैठी हैं सब एक सी बोली बोल रहीं हैं सीएए ,एनआरसी लागू होने नहीं देंगे बच्चे उनसे
भी आगे हैं अभी उनकी पढ़ने खेलने की उम्र है वह ऐसे डायलाग बोलते हैं दुःख होता हैं
माता पिता को समझ नहीं आ रहा किसी कट्टरपंथी संघठन की उनपर नजर पड़ गयी उनको
फिदायीन बनाते देर नहीं लगेगी ,बचपन में जहर के बीज रोप जा रहे है |बार –बार सरकार
समझा रही हैं संविधान संशोधन कानून किसी
की नागरिकता लेने की लिए नहीं है उन अभागे हिन्दू , सिख ,ईसाई , बौद्ध ,जैन एवं
ईसाई गैर इस्लामिक समुदाय को नागरिकता देने के लिए संसद द्वारा पास किया गया कानून
है जिन्हें अफगानिस्तान से तालिबानों ने
निकाल दिया था, बंगला देश एवं पाकिस्तान में उनकी कम उम्र की बेटियाँ आये दिन उठा
कर उनका धर्म परिवर्तन करा किसी मुस्लिम से निकाह पढ़वा दिए जा रहे है कभी कम उम्र
की बच्ची अधेड़ को निकाह के नाम पर सौंप दी जाती है कुछ बलात्कार का शिकार होती हैं
,उनका धर्म (मन्दिर गुरूद्वारे तोड़े जा रहे हैं ),घर द्वार ,सम्पत्ति ,कुछ भी
सुरक्षित नहीं है कितना बड़ा संताप है उनका नामकरण काफिर है उनकी जनसंख्या रोज घट
रही है पाकिस्तान में न दाद न फरियाद ‘
वह वैधरूप से भारत आ गये और कहाँ जाते शरणागत
हैं ?भारत के बटवारे की देन धर्म के आधार पर बना पाकिस्तान था | शरीयत के नाम पर
तलाक –ऐ-बिद्द्त अर्थात तीन तलाक दुखद था लेकिन मुस्लिम महिलायें बोल नहीं सकती
थीं चैनलों में होने वाली बहसों में सिर
झुका कहती थीं हम शरीयत के नियमों का पालन करेंगीं |कुछ समाज की जागरूक महिलाओं ने
आवाज उठाई देश के हर वर्ग की महिलाओं ने कुप्रथा के विरुद्ध उठ खड़ी हुई | समाज में
ऐसा माहौल बना जिससे सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक प्रथा को कानूनी अपराध घोषित किया
हलाला की कुप्रथा थम गयी अब बारी बहुविवाह के विरुद्ध आवाज उठाने की थी उन्हें समझाया
जा रहा है देश से मुस्लिम समुदाय को निकालने के लिए सीएए और ऍनआरसी लाया जा रहा है
उन्हें सरकार की बात समझ नहीं आ रही लेकिन भय का माहौल पैदा करने की बात आसानी से
समझ आ रही हैं |
भारत के मुस्लिम समाज ने पाकिस्तान एवं बंगलादेश में गैर इस्लामिक समुदाय
पर होने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई जबकि विश्व में मुस्लिम समाज की हर
परेशानी पर भारत का मुस्लिम समाज जोर शोर से विरोध करता है जलूस निकाल कर सरकार पर
भी दबाब डाला जाता है, सरकार सकारात्मक कदम उठायें |काश मुस्लिम समाज की जागरूक
महिलायें पाकिस्तान में होने वाले जुल्म के खिलाफ पाकिस्तान एम्बेसी के सामने
प्रदर्शन करती धरना देकर अभागे समाज के लिए आवाज बनतीं सरकार द्वारा बनाये कानून
का विरोध करने से पहले एक दो दिन या कभी –कभी बंगलादेश एवं पाकिस्तान के खिलाफ
नारे लगाती |आजादी –आजादी के नारे कैसे नारे यही नारे बहुविवाह प्रथा , समाज में
उनकी शिक्षा , उच्च शिक्षा ,नौकरी के अधिकार इस्लाम दहेज की इजाजत नहीं देता लेकिन
जम कर दहेज लिया जाता है और भी अनेक कुरीतियाँ से आजादी के नारे लगते | दंगा
मेनेजमेंट गुरुओं की कारस्तानी का नमूना कुछ महिलायें अर्थशास्त्र पढ़ा रहीं हैं
देश में गरीबी और बेरोजगारी है पहले देश के नागरिकों की हालत सुधार लें क्या गैर
इस्लामिकों पर जुल्म हो रहा है होनें दें उनकी संख्या कम से कमतर हो रही हैं हमें
क्या ? उनकी बेटी रोटी पर संकट है मरने दो |
लेकिन सीएए से भारतीय
मुस्लिम की नागरिकता जाने का प्रश्न नहीं उठाता न किसी प्रकार का उन्हें खतरा है
मुस्लिम यह अच्छी तरह से जानते हैं सीएए का
विरोध राजनीतिक दायरे से निकल कर संविधानिक , धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरातल
पर भी होने लगा है जबकि भारतीय सभ्यता में बहुरंगी विविधता एवं समृद्ध सांस्कृतिक
विरासत शामिल है |भारत का संविधान लिखित
है उसके किसी भी अनुच्छेद के परिवर्तन की निश्चित प्रक्रिया है | संविधान की रक्षा
के लिए सर्वोच्च न्यायालय हैं सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित
याचिकायें दायर की जा सकती हैं |संविधान की विशेषता धर्मनिरपेक्षता एवं मौलिक
अधिकार हैं जिनमें नागरिकों के हर वर्ग को अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि का संरक्षण करने तथा अल्पसंख्यकों द्वारा पसन्द की शिक्षा ग्रहण
करने एवं शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने उन्हें चलाने का अधिकार है मौलिक
अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक उपचारों का अधिकार इसे संविधान का हृदय एवं
आत्मा माना है | दुर्भाग्य से मस्लिम समाज
को कुछ दलों ने अपना वोट बैंक समझा ‘वह बन भी गये है’ राजनीतिक दलों की कोशिश रहती
है इनके वोट बैंक को अपने हक में एक मुश्त कर लें | राजनीतिक दलों की भाँति
मुस्लिम नेता भी मुस्लिम समाज को हिंदुत्व का भय दिखा कर अपने लाभ के लिए मुस्लिम
वोट बैंक को अपने हित में संगठित करने की कोशिश करते हुए की राजनीति में अपना कद
ऊँचा करते हैं |हैदराबाद के ओबीसी ,बंधू बड़े भाई असद्दुदीन ओबेसी इंग्लैंड से
वकालत पढ़ कर आये हैं वकीलों जैसी भाषा बोलते हुए संविधान की दुहाई देते हैं छोटा
भाई अकबरुद्दीन चोट पर चोट करते हुए भीड़ की तलियां बटोरते हैं | अब तो ओबीसी बंधू
पीछे रह गये ओंर भी नये नेता उठ खड़े हुए हैं शाहीन बाग़ के मंचों से जहरीले भाषणों
में मुस्लिम राजनीति को नई दिशा दे रहे हैं देश के टुकड़े – टुकड़े करने का आह्वान
करने के फार्मूले सुझा रहे हैं |
जरूरत मुस्लिम समाज की
शिक्षा को बढ़ावा देने की है मिडिल ईस्ट में मुस्लिम समाज भयंकर गर्मी में काम करते
हैं ठेकेदार उन्हें थोड़ी –थोड़ी देर में नमक चटा कर पानी पिला कर काम निकालते हैं |
क्या वह शिक्षा प्राप्त कर ऊंचे पदों में काम नहीं कर सकते ‘सरकार द्वारा अल्पसंख्यक के शैक्षिक विकास के
बजट की मद से मुस्लिम समाज कैसे लाभन्वित हो सके जबकि उनको अँधेरे में रखा गया है
|नागरिकता संशोधन बिल के नाम पर विपक्ष मुस्लिम समाज को बरगलाकर अपनी खिसकी हुई
राजनीतिक जमीन को पकड़ने की कोशिश की जा रही है शाहीन बाग़ में शुरू हुये स्थानीय
विरोध को बढ़ा कर अपने हक में इस्तेमाल करने के हथकंडे देखे जा सकते हैं एक राजनेता ने तो मोदी जी के
बचे कार्यकाल तक विरोध की सलाह दे डाली | बालीवुड के कुछ एक्टरों को भी सीएए के खिलाफ धरने
प्रदर्शनों में अपनी पब्लिसिटी नजर आ रही हैं शायद शाहीन बाग़ का मंच उनके डूबते
कैरियर को बचा ले| रोज नेताओं का आगमन उनके भाषण, राजनीतिक चाले बढ़ते एजेंडे नये
नारे | अब तो नये कट्टरपंथी मुस्लिम
जवानों के आगे वह भी फेल हो रहे हैं |
एक नारा जिन्ना वाली आजादी’
हंसी आती है पाकिस्तानी बुद्धिजीवी कायदे आजम जिन्ना द्वारा धर्म के आधार पर
निर्मित पाकिस्तान के निर्माण पर ही प्रश्न उठा रहे हैं कहते थे भारत के बड़े बाजार
एवं सस्ती मैन पावर पर विश्व की नजर है यहाँ निवेश करना लाभ का सौदा माना जाता है
| हम बढ़ते आतंक की वजह से अपनी सीमा में सिमट रहे हैं ऊपर से सत्ता की और कदम बढ़ते
आतंकियों के कदम अगर पार्टिशन नहीं हुआ होता हम भी बाजार का हिस्सा होते | शाहीन
बाग़ एक अलग क्षेत्र बन गया है आने वाली फंडिंग से खाना पीना चाय दिहाड़ी जब तक चलती
रहेगी सड़कें अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर बंद रहेंगी एक नया रोजगार खुल गया है |मुफ्त का खाना सडकें जाम