Sketches from Life: बुद्ध का मार्ग - 4
संवेदना गौतम बुद्ध ने कहा कि जैसे आकाश में तरह तरह की हवाएं लगातार चलती रहती हैं, कभी पुरवैय्या, कभी पछुआ, कभी उत्तर से, कभी दक्खिन से, कोई धूल वाली कोई बिना धूल की, कभी ठंडी तो कभी गरम, कहीं से मंद मंद और कहीं से तेज़, ठीक उसी प्रकार शरीर में भी तरह तरह की संवेदनाएं आती ज